किसान संसद : हजारों किसानों ने दिल्ली की सड़कों पर कब्जा किया
'किसान संसद' में हजारों ने लिया हिस्सा, की क़र्ज़ मुक्ति की मांग...सैंकड़ों आत्महत्या पीड़ित किसान परिवारों के सदस्यों ने भी लियाहिस्सा

नई दिल्ली। किसानों और आदिवासियों के बीच काम कर रहे देश के 180 जनसंगठनों से मिलकर बने अ. भा. किसान संघर्ष संयोजन समिति, जिसमें अ. भा. किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान सभा और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन भी शामिल हैं, के आह्वान पर पूरे देश के हजारों किसानों ने आज संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया, अपनी 'किसान संसद' लगाई और क़र्ज़ माफ़ी की मांग की।
इस संसद में सैंकड़ों आत्महत्या पीड़ित किसान परिवारों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया. छत्तीसगढ़ से भी इन संगठनों के लगभग एक हजार किसानों ने डेरा डाला हुआ है, जिनका नेतृत्व राकेश चौहान, सुदेश टीकम, रमाकांत बंजारे, सोनकुंवर, अनिल द्विवेदी, विशाल बाकरे, रूपधर ध्रुव आदि किसान नेता कर रहे हैं। यह संसद कल भी चलेगी और हजारों किसानों का दिल्ली पहुंचना आज रात तक भी जारी है। अ.भा. किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने यह जानकारी दी है।
छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि देश के ऋणग्रस्त किसान परिवारों पर औसतन 1.5 लाख रुपयों का कर्ज़ चढ़ा हुआ है और इसका आधा हिस्सा महाजनी कर्जे का है. पिछले एक दशक में 1.5 लाख से ज्यादा किसान क़र्ज़ से तंग आकर आत्महत्या कर चुके है। इसलिए दिल्ली में एकत्रित किसान मांग कर रहे हैं कि किसानों के लिए क़र्ज़ मुक्ति आयोग का गठन करके उन्हें बैंकिंग और महाजनी कर्जे से छुटकारा दिलाया जाए. भाजपा ने चुनावों के दौरान किसानों से जो वादा किया था, उसकी याद भी मोदी सरकार को दिला रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें फसलों की लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में दिया जाए।
किसान सभा नेता ने कहा कि छत्तीसगढ़ की किसान मनरेगा के बेहतर क्रियान्वयन, बकाया मजदूरी के भुगतान तथा साल में 250 दिन काम और 250 रूपये रोजी देने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदेश में आदिवासियों को वितरित वनभूमि के पट्टे छीने जाने, जल-जंगल-जमीन-खनिज और प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ भी वे अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के सांसदों ने आकर किसानों की मांग का समर्थन किया है, लेकिन अभी तक भाजपा का कोई सांसद नहीं पहुंचा है। इससे भाजपा का किसानविरोधी, आदिवासीविरोधी रूख ही बेनकाब होता है।
उन्होंने बताया कि जनवरी में रायपुर में भी राज्य स्तरीय 'किसान संसद' के आयोजन की योजना बनाई जा रही है। हनान मोल्लाह, अतुल अंजान, योगेन्द्र यादव, मेधा पाटकर, बादल सरोज जैसे कई किसान नेताओं से संपर्क किया गया है और उन्होंने यहां आने की हामी भरी है।


