चीनी निर्यात बढ़ने के बावजूद मिलों पर किसानों का बकाया 15,000 करोड़ रुपये
चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में भारत तकरीबन 38 लाख टन चीनी का निर्यात कर चुका है जोकि सरकार द्वारा तय कोटा 50 लाख टन का 76 फीसदी है।

नई दिल्ली । चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में भारत तकरीबन 38 लाख टन चीनी का निर्यात कर चुका है जोकि सरकार द्वारा तय कोटा 50 लाख टन का 76 फीसदी है। हालांकि देशभर के किसनों का चीनी मिलों पर फिर भी करीब 15,000 करोड़ रुपये बकाया है। यह जानकारी नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने दी।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि चालू सीजन में चीनी का निर्यात पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत ने 2018-19 में अब तक 38 लाख टन चीनी का निर्यात किया है।
केंद्र सरकार ने न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) के तहत देश की चीनी मिलों के लिए 30 सितंबर 2019 को समाप्त होने वाले चालू सीजन में 50 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसका 76 फीसदी निर्यात हो चुका है।
पिछले साल एममआईईक्यू के तहत सरकार ने 20 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य तय किया था, मगर निर्यात महज छह लाख टन ही हो पाया था जोकि तय कोटे का महज 30 फीसदी है।
नाइकनवरे ने आईएएनएस को बताया कि निर्यात बढ़ने से चीनी मिलों को गन्ना उत्पादकों को गóो की कीमत का भुगतान करने में मदद मिली है, लेकिन किसानों का फिर भी तकरीबन 15,000 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश के किसानों का है।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश गन्ना उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की वेबसाइट के अनुसार, वर्तमान पेराई सत्र 2018-19 में कुलदेय गन्ना मूल्य 33,048 करोड़ रुपये के सापेक्ष 25,381 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जो कुलदेय का 76.80 प्रतिशत है। इसके अलावा विगत पेर्राइ सत्र 2017-18 का 35,423 करोड़ रुपये एवं पूर्व पेराई सत्रों का 10,636 करोड़ रुपये का भुगतान भी सुनिश्चित कराया गया है। इस प्रकार विगत दो वर्षो में कुल 71,440 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान कृषकों को सुनिश्चित कराया जा चुका है।
नाइकनवरे ने बताया कि चालू सीजन 2018-19 में देश में 330 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि अगामी सीजन 2019-20 में 285 लाख टन उत्पादन का अनुमान है।
उद्योग के अनुमान के अनुसार, देश में चीनी की सालाना खपत तकरीबन 260 लाख टन है।
गौरतलब है कि पिछले महीने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एक साल के लिए 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक को मंजूरी दी थी जिसमें अनुमानित अधिकतम खर्च 1,674 करोड़ रुपये आएगा। बफर स्टॉक की यह समयावधि एक जुलाई 2019 से लेकर 31 जुलाई 2020 तक होगी। इससे पहले 2017-18 सीजन के लिए सरकार ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक की मंजूरी दी थी जिसकी अवधि 30 जून 2019 को समाप्त हो गई।


