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जंतर-मंतर से नहीं उठेंगे तमिलनाडु के किसान

आर्थिक सहायता की मांग को लेकर पिछले 17 दिनों से यहां जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के सूखा पीड़ित किसानों ने कहा कि सरकार उनकी मांग नहीं मानी जाती उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। 

जंतर-मंतर से नहीं उठेंगे तमिलनाडु के किसान
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नई दिल्ली। आर्थिक सहायता की मांग को लेकर पिछले 17 दिनों से यहां जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के सूखा पीड़ित किसानों ने आज कहा कि सरकार उनकी उपेक्षा कर रही है जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।

धरना प्रदर्शन के 17वें दिन किसानों ने लंगोट पहनकर धरना प्रदर्शन किया। हरे रंग की लंगोट पहनकर किसान सड़क पर लेटे और नारे लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारी कई किसान गले में उन किसानों की खोपड़ी के कंकाल की माला टांगे हैं जिन्होंने आत्महत्या की थी। सूखा पीड़ित किसानों का कहना है कि उनके सैकड़ों लोग आत्महत्या कर चुके हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनको राहत नहीं दी जा रही है जबकि राज्य को पहले सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। उनका कहना है कि तमिलनाडु के किसानों के साथ न्याय नहीं हो रहा है और केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा उनकी अनदेखी की जा रही है। केंद्र का कहना है कि राहत राशि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में और तमिलनाडु सरकार कहती है कि यह केंद्र का काम है।

किसान एसोशिएशन फेडरेशन के नेता तथा तमिलनाडु किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक लोढ़ा ने बताया कि राज्य में गत अक्टूबर से अब तक 275 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। सरकार ने प्रत्येक मृतक किसान के परिजनों को तीन लाख रुपए की राहत राशि देने की घोषणा की है लेकिन बैंक इस राशि को किसान को पूरा नहीं दे रहे हैं। किसानों ने घर, ट्रैक्टर और पशु आदि के लिए बैंकों से जो कर्ज लिया था इस ऋण से बाकी कर्ज की बकाया राशि को काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ेगी और जब तक केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता उनका धरना प्रदर्शन समाप्त नहीं होगा।


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