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फसल मुआवजा के लिए पूर्व मंत्री के साथ किसानों ने घेरा कलेक्ट्रेट

मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के जोंधरा गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। बारिश नहीं होने से गांव में तालाब, बोरें सूख चुके हैं

फसल मुआवजा के लिए पूर्व मंत्री के साथ किसानों ने घेरा कलेक्ट्रेट
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जोंधरा में पानी के लिए हाहाकार, तालाब, बोर सूखे,सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग

बिलासपुर। मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के जोंधरा गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। बारिश नहीं होने से गांव में तालाब, बोरें सूख चुके हैं। खेतों में दरार पड़ गई है। यहां के तीन हजार किसान आज खराब फसल को लेकर पूर्व मंत्री के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और कहा कि 300 रूपए बोनस से घर का गुजारा नहीं चलेगा। बोनस की जगह खराब फसल के एवज मेें सरकार उचित मुआवजा दें ताकि जीवन यापन चल सके। परेशान किसान गांव छोड़ने को मजबूर हैं। किसानों ने कहा कि खेतों में धान की जगह पाखड़ धान दिखाई दे रहे हैं। जोंधरा को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग किसानों ने की है।

किसानों की खराब फसल को लेकर आज मस्तूरी क्षेत्र के जोंधरा गांव के किसान कलेक्टे्रट पहुंचे। यहां के किसान जानकी पटेल, सूखललाल प्रजापति, तिलकराम केंवट,सीताराम पटेल, बुधराम पटेल, हरिशचंद्र पटेल, बिहारीलाल प्रजापति, केजराम चंदेल, चंदराम पटेल, रामसाय पटेल, जगमोहन, सुखराम बघेल, छतलाल, संजय पटेल का कहना है कि जोंधरा एवं आसपास के खेतों में पानी नहीं है यहां हमेशा बिजली गुल रहती है। पानी नहीं गिरने से तालाब सूखे पड़े हैं, बोर खाली पड़े हैं। अंग्रेज जमानों के बने सबसे पुराने जोंधरा के नहर में अब खूंटाघाट का पानी तक नहीं पहुंचता। जोंधरा गांव में 2 हजार से अधिक किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है। बिजली दफा फसल कुछ अच्छी हुई थी तो बोनस मिला लेकिन बोनस की राशि इतनी कम है कि घर का गुजारा नहीं चल पा रहा है। अब इस बार पानी नहीं गिरने से फसल पूरी तरह बर्बाद है तो सरकार का बोनस कहां से मिलेगा। इन किसानों का कहना है कि पहले सरकार किसानों को भले ही बोनस न दें लेकिन खराब फसल के बदले इतना मुआवजा जरूर दें कि किसान अपना जीवन यापन कर सकें। यहां 3 हजार एकड़ खेतों में फसल बर्बाद है। प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री डा.कृष्णमूर्ति बांधी आज गांव वालों के साथ जिला प्रशासन के अफसरों से मिले और किसानों को खराब फसल के बदले उचित मुआवजा दिलाने चर्चा की। डा.बांधी का कहना है कि खराब फसल का आंकलन अधिकारी दो बार कर चुके हैं लेकिन फाईनल आंकलन नहीं हुआ है। किसानों को बीमा राशि भी नहीं मिली है। राजस्व विभाग एवं जिम्मेदार अफसर मौके पर जाकर खेतों का मुआयना करें एवं किसानों को मुआवजा राशि दिलाने प्रकरण बनाए ताकि किसान जीवन यापन कर सकें। गांव के किसानों ने यह भी कहा कि वर्तमान विधायक दिलीप लहरिया क्षेत्र में किसानों के साथ दिखाई नहीं देते। जोंधरा गांव में 2 हजार एकड़ खेत है इस बार धान की पैदावार नहीं हुई। जिससे किसान परेशान हैं।

जोंधरा की सरपंच जानकी पटेल तथा रामसाय पटेल ने बताया कि जोंधरा में कृषि भूमि करीबन 5 हजार एकड़ है जिसमें से 50 एकड़ भूमि में कुआं पंप से सिंचाइ्र होती है। गांव में बिजली की आंख मिचौली एवं कई घंटे तक रोजाना विद्युत आपूर्ति बंद होने के कारण अब कुआं पंप से भी सिंचाई नहीं हो पा रहा है। सबसे पुराने नहर का पानी गांव तक नहीं पहुंच रहा है। जोंधरा गांव में तीन शासकीय तालाब है। अल्प वर्षा के कारण इस तालाबों में पानी नहीं भरा, कुआं में भी पानी नहीं है। तालाबों में ट्यूबवेल के माध्यम से पानी भरने की मांग किसानों ने की है।

अकाल पड़ने के कारण रोजी-रोटी की तलाश में किसान पलायन कर रहे हैं। मजदूरों का पलायन रोकने के लिए गांव में राहत कार्य खोलने की मांग की जा रही है। किसानों में इस बात का आक्रोश है कि सूखा प्रभावित गांव में जांच करने के लिए जो भी अधिकारी आते हैं पचपेड़ी एवं आसपास के क्षेत्रों से होकर वापस चले जाते हैं। जोंधरा गांव में कोई भी अधिकारी प्रभावित फसल की जांच करने नहीं आए। किसानों ने बीमा राशि दिलाने की मांग प्रशासन से की है।


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