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हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले मांगों का लेकर किसानों ने दिया अल्टीमेटम

भाजपा शासित हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले किसानों ने मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है। नूंह जिले के अंतर्गत आने वाले गांव के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो इसका असर आगामी चुनाव में दिखेगा

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले मांगों का लेकर किसानों ने दिया अल्टीमेटम
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नूह। भाजपा शासित हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले किसानों ने मांगों को लेकर आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है। नूंह जिले के अंतर्गत आने वाले गांव के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो इसका असर आगामी चुनाव में दिखेगा।

समस्याओं को लेकर भाजपा नेता चौधरी जाकिर हुसैन के नेतृत्व में नूंह के किसानों ने हाल ही में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की थी। उन्होंने सीएम के सामने मुआवजे को लेकर जरूरी मांग रखी थी और सरकार की तरफ से भी इसका समाधान निकालने का आश्वासन मिला था।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने मुखर हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर सरकार ने मांगों को नहीं माना तो चुनाव पर इसका असर देखने को मिलेगा।

मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने बताया कि मुख्यमंत्री से हमारी मुलाकात हुई। उनके सामने हमने दो बातें रखी। किसानों को 25 लाख का मुआवजा ब्याज के साथ सरकार क्लियर करे और दूसरा धोखे से किसानों से जो एग्रीमेंट साइन कराया गया है, उसको निरस्त किया जाए। ये राजनीतिक दौर है, इसलिए किसानों ने ये निर्णय लिया है कि सरकार को 10 दिन का और अल्टीमेटम दिया जाए। अगर इस बीच सरकार हमारी मांगों को मान लेती है और इसे पूरा कर देती है तो हमारा फैसला सरकार के पक्ष में जाएगा, नहीं तो किसान फिर अपनी अलग रणनीति बनाएंगे।

उन्होंने आगे बताया कि मांगों को लेकर हमारा धरना छह महीने से अधिक समय से चल रहा है। सरकार को हमारी समस्याओं के बारे में सब कुछ पता है, लेकिन इसके बावजूद वो कोई फैसला नहीं ले पाए। इस बात को लेकर किसानों के अंदर रोष है। ऐसे में ये सरकार के लिए आखिरी चेतावनी है, अगर हमारी मांग मान ली जाती है तो हमारा फैसला सरकार के पक्ष में जाएगा।

बता दें कि इससे पहले कांग्रेस सरकार के समय में किसानों की करीब 1,600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। उस समय किसानों को दो किस्तों में तकरीबन 46 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि दी गई थी। अधिग्रहण के समय किसानों से एक हलफनामा लिया गया था, जिसमें उनके कानूनी अधिकार छीन लिए गए थे। इस बात से नाराज किसान पिछले कई महीने से लगातार अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।


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