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आठवें दौर की वार्ता से पहले किसानों ने किया शक्ति-प्रदर्शन

सरकार के साथ किसान नेताओं की आठवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले आंदोलनरत किसानों ने गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति-प्र्दशन किया

आठवें दौर की वार्ता से पहले किसानों ने किया शक्ति-प्रदर्शन
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नई दिल्ली। सरकार के साथ किसान नेताओं की आठवें दौर की वार्ता से एक दिन पहले आंदोलनरत किसानों ने गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति-प्र्दशन किया। इस शक्ति प्रदर्शन के साथ-साथ किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार को यह चेतावनी भी दी है कि उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर वे आंदोलन को और तेज करेंगे। ऐसे में शुक्रवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता के नतीजे तक पहुंचने को लेकर असमंजस बरकरार है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं और सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता में भी वे इन्हीं दोनों मसलों पर बात करेंगे।

ट्रैक्टर मार्च को सफल बताते हुए पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल)के जनरल सेकेट्ररी हरिंदर सिंह ने आईएएनएस से कहा, "हमारी पहली मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले और इस पर सहमति बनने पर ही हम एमएसपी के मसले पर बात करेंगे।"

हरिंदर सिंह ने कहा कि अगर सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को सहमत नहीं होगी तो कल की वार्ता बमुश्किल से घंटेभर भी चल पाएगी क्योंकि इस मसले पर वार्ता पूरी होने पर ही दूसरे मसलों पर बात होगी। उन्होंने कहा, "हमारी दो प्रमुख मांगें हैं जिन पर हम सरकार से कल की वार्ता में हां या ना में जवाह चाहेंगे।"

उधर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने गुरुवार को एक बार फिर दोहराया है कि नए कृषि कानून देशभर के किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही बनाए गए हैं, हालांकि किसान संगठनों के सुझावों पर सरकार में इनमें संशोधन करने को तैयार है।

सरकार कानूनों में संशोधन करने को तैयार है, लेकिन किसान संगठनों के नेता कानून को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ऐसे में वार्ता का नतीजा तभी निकल सकता है जब एक पक्ष दूसरे की बात मान ले या फिर कोई नया सुझाव आए जिस पर दोनों पक्षों की रजामंदी हो।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार, किसान संगठनों ने हजारों की तादाद में ट्रैक्टरों के साथ गुरुवार को कुंडली मानेसर पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया और इसे गणतंत्र दिवस पर घोषित किसान परेड का ट्रेलर बताया।

मार्च निकालने के बाद हरिंदर ने कहा, "आज हमने सरकार को ट्रेलर दिखाएं हैं और 26 जनवरी को फिल्म दिखाएंगे। आज हजारों की संख्या में ट्रैक्टर है और 26 जनवरी को लाखों की तादाद में ट्रैक्टर लेकर आएंगे और दिल्ली की हर गली को ट्रैक्टरों से भर देंगे। जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे और एमएसपी के लिए सरकार कानून नहीं लाएगी हम यहां से नहीं जाएंगे।"

केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।


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