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किसानों का करनाल सचिवालय के बाहर धरना जारी, वार्ता विफल

किसान नेताओं राकेश टिकेत, गुरनाम सिंह चड़ूणी और योगेंद्र यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल और प्रशासन के बीच दो दौर की बातचीत हुई लेकिन ये बेनतीजा रहीं

किसानों का करनाल सचिवालय के बाहर धरना जारी, वार्ता विफल
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करनाल। हरियाणा के करनाल जिले के बसताड़ा टोल प्लाजा पर गत 28 अगस्त काे किसानों पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई तथा आईएएस अधिकारी और करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के विवादित आदेशों को लेकर उन्हें निलम्बित करने की मांग को लेकर किसानों का आज यहां लघु सचिवालय के बाहर धरना दूसरे दिन भी जारी रहा।

किसान नेताओं राकेश टिकेत, गुरनाम सिंह चड़ूणी और योगेंद्र यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल और प्रशासन के बीच दो दौर की बातचीत हुई लेकिन ये बेनतीजा रहीं। किसान नेताओं की मांग है कि बसताड़ा टाेल प्लाजा पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए वहीं श्री सिन्हा को निलम्बत किया जाये। किसान नेता लाठीचार्ज में गम्भीर रूप से घायल होने और इलाज के दौरान दम तोड़ देने वाले किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा घायल किसानों को दो-दो लाख रुपए मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।

जिला प्रशासन ने लेकिन किसान प्रतिनिधिमंडल की ये मांगे नहीं मानी और कहा कि इस सम्बंध में जांच चल रही है तथा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्रवाई को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा। लेकिन किसान नेता इस पर संतुष्ट नहीं हुये और इन्होंने मांगे माने जाने तक अपना धरना जारी रखने का निर्णय लिया है। वहीं लघु सचिवालय के अंदर और वाहर सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस और अर्द्ध सुरक्षा बलों की 40 कम्पनियां तैनात की गई हैं।

टिकैत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रशासन हमारी नहीं सुन रहा है और जो मांगे उसके समक्ष रखी गई है उन पर भी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में उनके पास अब धरना आगे जारी रखने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है। जब तब मांगे नहीं मानी जाएंगी यह धरना जारी रहेगा। उधर, लघु सचिवालय के बाहर किसानों का जमावड़ा आज दिन भर जारी रहा। किसानों ने पक्का माेर्चा लगाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। टैंट और तम्बू मगाये जा रहे हैं। धरने पर बैठे किसानों के खाने पीने की व्यवस्था के लिय लंगर की व्यवस्था की गई है।

इससे पहले गत सात सितम्बर को स्थानीय अनाज मंडी में उक्त मांगों को लेकर आयोजित किसान महापंचायत के दौरान भी किसानों की 11 सदस्यीय समिति की जिला प्रशासन के साथ तीन दौर की वार्ता हुई थी लेकिन यह विफल रही थी। इसके बाद किसानों ने अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम अनुसार लघु सचिवालय का घेराव करने के लिये अनाज मंडी से उस ओर कूच कर दिया था। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान रास्ते में स्थापित अनेक अवरोधको को तोड़ते हुये लघु सचिवालय तक पहुंच गये थे जहां इन्हें तितर बितर करने के लिये वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया था। स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिये टिकैत समेत कुछ किसान नेताओं को हिरासत में भी लिया गया था लेकिन इन्हें बाद में रिहा कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली-करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसताड़ा टोल प्लाजा पर गत 28 अगस्त को पुलिस ने किसानों पर उस समय लाठीचार्ज किया था जब वे भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नेताओं को एक बैठक जाने से रोकने के लिये वहां एकत्रित हुये थे। इस लाठीचार्ज में घायल करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल ने अगले दिन दम तोड़ दिया था। वहीं अनेक किसान घायल हो गये थे। गत 30 अगस्त को भारतीय किसान यूनियन ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत कर राज्य सरकार से सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी, घायल किसानों को दो-दो लाख रुपए मुआवजा और लाठीचार्ज के आदेश देने वाले एसडीएम आयुष सिन्हा और पुलिस उपाधीक्षक और अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी।

राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि प्रजातंत्र में सभी को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात कहने और आंदोलन करने का अधिकार लेकिन इससे किसी अन्य नागरिकों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिये।


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