किसान अब अपनी पर्ची कोचियों को देने की तैयारी में
अल्प वर्षा का दंश झेल रहे जिले के किसानों ने अब अपनी पर्ची कोचियों को किराए में देने का मन बना लिया है

बिलासपुर। अल्प वर्षा का दंश झेल रहे जिले के किसानों ने अब अपनी पर्ची कोचियों को किराए में देने का मन बना लिया है क्योंकि फसल क्षतिपूर्ति की मुआवजा राशि कब और कितनी मिलेगी शासन तय नहीं कर पाई है। आर्श्यजनक बात यह है कि अब तक अंतिम आनावरी रिपोर्ट ही नहीं बन पाई है।
कोचिए किसानों को पर्ची के बदले बोनस प्लस धान बिक्री राशि का कमीशन देने तैयार है,कुछ जगह कोचिए किसानों को अग्रिम राशि भी दे रहे है। जिले में बहुत ही कम किसानों ने शासन के समक्ष फसल खराअ होने का आवेदन दिया है जबकि जिले में आकाल घोषित किया जा चुका है। फिलहाल 28,184 हेक्टेयर भूमि में 50 पीसदी से ज्यादा फसल खराब बताई जा रही है, लेकिन वास्तविक आनावरी रिपोर्ट राजस्व विभाग द्वारा तैयार की जा रही है।
जिले के किसानों की हालत् संतोषजनक नहीं है और सूखे का मार झेल रहे किसान कैसे भी कर अपनी बची फसल समेटने में लगे है। शासन ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तिथि तय कर दी है। शासन के अब तक के रिपोर्ट के अनुसार पानी के कमी के कारण 21,192 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती नहीं हो पाई है, 70,314 हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई है, 42,130 हेक्टेयर में की गई खेती में फसल 33-50 फीसदी ही ठीक है, 28,184 हेक्टेयर भूमि में 50 फीसदी से ज्यादा फसल खराब हुई है, लेकिन यह अंतिम आनावरी रिपोर्ट नहीं है।
अभी फसल कटाई प्रयोग के माध्यम से शासन द्वारा वास्तविक व अंतिम आनावरी रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। वहीं कोचिए सक्रिय हो गए है क्योंकि यदि किसान मुआवजा नहीं लेकर अपना पर्ची कोचियों को देेते है।
तो ज्यादा फायदे में रहेंगे क्योंकि मुआवजा कब और कितना मिलेगा? अब तक तय नहीं हो पाई है, और कोचिए किसानों को एडवांस में रकम देने तैयार है।
पिछले वर्ष मिला मुआवजा पर्याप्त नहीं था
फसल क्षतिपूर्ति किसानों के लिए अभी पहेली से कम नहीं है। पिछले वर्ष शासन द्वारा जो मुआवजा राशि किसानों को दी गई थी उससे किसान संतुष्ट नहीं थे और कई जगह से विरोध हुआ था। जिले के कुछ किसानों से 'देशबंधुÓ की टीम ने मुआवजा को लेकर चर्चा कि तो किसानों ने कहा कि लगता है शासन की मंशा मुआवजा अभी तय करने की नहीं है।
शासन यह देखकर कर ही मुआवजा तय करेगा कि कौन कितना धान बेच रहा है। फिलहाल हमारे पास जो फसल बची है उसे ही समेट रहे है।
एक दिन में 50 किसानों को टोकन
सेवा सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कि प्रारंभिक तैयारी लगभग पूरी हो गई है। वहीं धान खरीदी संबंधी शासन के नए-नए फरमान से समितियों में खलबली मची हुई है। इस बार किसानों को टोकन दिया जाएगा, और जो किसान टोकन लेकर नहीं आएगा उनका धान नहीं लिया जाएगा।
वहीं एक बार टोकन का समय समाप्त होगा तो टोकन का महत्व स्वत: ही खत्म हो जाएगा। एक दिन में सिर्फ 50 किसानों को ही टोकन दिए जाएंगे।


