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खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं किसान

  खाद के नाम पर किसानों की मुशीबत कम होने का नाम नहीं ले रही हैं

खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं किसान
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होडल। खाद के नाम पर किसानों की मुशीबत कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकारी खाद एजेंसियों पर पिछले कई दिनों से किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है जबकि निजी दुकानदार खादी की जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं।

किसानों का आरोप है कि निजी खाद बिक्रेता जबरन दवाई का पैकेट देकर खाद लेने के मजबूर कर रहे हैं। खाद एजेंसी संचालक तो पोश मशीन और आधार कार्ड पर खाद उपलब्ध करा देते हैं तो व हीं निजी खाद बिक्रेता मनमर्जी के दामों पर खाद बिक्री कर रहे हैं।

जिसके कारण किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां बाजार में खाद बिक्रेता खाद की कमी का रोना रो रहे हैं वहीं कुछ दुकानदारों द्वारा ब्लैक में खाद उपलब्ध कराया जा रहा है जिसके कारण किसानों को ब्लैक में खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। गेहूं और जौ की फसल बुवाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है जिसमें किसानों को अब यूरिया और डीएपी खाद की बहुत आवश्यकता होती है लेकिन पिछले कई दिनों से शहर कि किसी भी खाद बिक्रेता पर खाद उपलब्ध नहीं है जिसके कारण किसान खाद के लिए मारे मारे फिर रहे हैं।

किसानों का आरोप है कि शहर में कुछ खाद बिक्रेता सीजन शुरू होने से पहले ही खाद का स्टाक करने मे जुट जाते हैं जिसे बाद में किसानो को मोटे मुनाफे पर ब्लैक में उपलब्ध करा दिया जाता है। किसानों का कहना है कि जब भी फसल बुवाई का समय आता है तभी खाद की कालाबाजारी शुरू हो जाती है कि जिसके कारण किसानों को परेशानियां उठानी पड़ती है। किसानों का कहना है कि निजी खाद बिक्रेताओंं के खाद के गोदाम भरे पड़े हैं और वह जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। खाद का सरकारी दाम 295 रुपए है लेकिन दुकानदार 330 रूपए तक वसूली कर रहे हैं। इसके अलावा दुकानदारों द्वारा दवाई लेने की शर्त भी लगाई जा रही है। जिसके कारण किसानों को दवाई लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं किसान:

वह पिछले कई दिनों से खाद के लिए सरकारी एजेंसी पर चक्कर काट रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल रहा है। जिसके कारण फसल प्रभावित हो रही है।
- शमसुद्दीन

सरकारी एजेंसी पर खाद नहीं मिलने के कारण अब वह ब्लैक में खाद खरीदने को मजबूर होंगे। गेहंू बुवाई की सीजन आते ही खाद की कमी शुरू हो जाती है जिसके कारण जहां किसानों को दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ता है, वहीं कालाबाजारी करने वाले मोटा मुनाफा कमाते हैं।
- किशोर

फसल बु़वाई के समय किसान को खाद की आवश्यकता होती है लेकिन इसी दौरान बाजार में खाद की किल्लत पैदा हो जाती है जिसके कारण किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है। खाद के साथ दवाई लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
- डालचंद

सरकारी एजेंसी पर पिछले कई दिनों से खाद नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण फसल प्रभावित हो रही है। प्राईवेट खाद बिक्रेता जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं।

-रामदीन

खाद एजेंसी पर शनिवार को खाद की एक गाड़ी पहुंची थी। जिसके बाद उन्होंने किसानों को पाश मशीन और आधार कार्ड के आधार पर खाद उपलब्ध कराया है। मंगलवार तक खाद पहुंचने की उम्मीद है। जिसके बाद सरकारी दाम पर किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाएगा।

- जितेंद्र कृभको इंचार्ज


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