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प्याज के आसमान छूते भावों से किसान खुश

प्याज के आसमान छूतें भावों से भले ही देश भर में हाहाकार मच रहा हो, लेकिन इससे प्याज उत्पादक किसानों के चेहरे खिल गये हैं।

प्याज के आसमान छूते भावों से किसान खुश
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अलवर। प्याज के आसमान छूतें भावों से भले ही देश भर में हाहाकार मच रहा हो, लेकिन इससे प्याज उत्पादक किसानों के चेहरे खिल गये हैं।

किसानों के परिवारों में जश्न का माहौल है। इस बार उनके न केवल पिछले वर्ष हुए घाटे की भरपाई हो गयी बल्कि उनकी सारी देनदारियां चुक गयी हैं। पहली बार उन्हें इतने भाव मिल रहे हैं।
राजस्थान में सर्वाधिक प्याज की फसल अलवर जिले में की जाती है। कई वर्ष बाद किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं। इससे पहले किसानों को कभी भी ऐसे भाव नहीं मिले। बढ़ते भावों को लेकर किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है। किसानों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब उनके परिवारों में खुशी देखी गई है, जबकि नेताओं में निराशा छाई हुई है।

अलवर जिले में इस वर्ष करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर प्याज की पैदावार हुई है। हर वर्ष प्याज का रकबा बढ़ता जाता है। पिछले तीन-चार वर्षों से प्याज की फसल के भाव किसान को नहीं मिलने से किसान निराश होने लगे थे। पिछली बार तो अलवर के किसानों ने प्याज के भाव कम होने के चलते प्याज को खेतों में ही छोड़ दिया, लेकिन इस बार स्थिति पूरी तरीके से उलट है ।

किसानों को बढ़ते दामों के कारण 80 किलो भाव का प्याज थोक बिक रहा है। अलवर की प्याज मंडी में करीब 50 हजार कट्टे प्रतिदिन प्याज आ रहा है। इनमें से करीब 15 हजार कट्टे दिल्ली की मंडी में भेजा जा रहा है। नोगांवा के कृषक नरेश जैन ने बताया कि इस बार प्याज के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा हो रहा है। अगर प्याज के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा होता है तो नेताओं को शोरगुल नहीं करना चाहिए। मंडी में आए कई किसानों ने बताया कि प्याज के दाम बढ़ने से उनकी कई देनदारियां चुक गई हैं और अब कच्चे घरों को पक्के मकानों में बदल रहे हैं। वाहन खरीदकर बच्चों की जिद को भी पूरा किया जा रहा है।

प्याज उत्पादक किसान अरशद ने बताया कि अब प्याज के अच्छे भावे मिलने से उनको फायदा होगा। उसने कहा -‘ पिछले वर्ष प्याज में हुए भारी घाटे के बाद इस वर्ष हमने बच्चों तक के गहने गिरवी रखकर प्याज बोई थी। अब महंगे प्याज होने से हम पत्नी और बच्चों के गहनों को छुड़वाएँगे।’ उसने आक्रोश जताते हुए कहा कि जब प्याज सस्ती होती है तो यह नेता कहां जाते हैं।

एक किसान ने बताया कि पानी की समस्या के चलते प्याज कम बोई गई थी, लेकिन इस बार फसल के दाम अच्छे मिलने से ट्यूब वैल लग जाएंगे और अगले वर्ष ज्यादा प्याज बोयेंगे। मंडी में प्याज बेचने वाले आए दर्जनों किसानों ने कहा कि सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य घोषित कर देना चाहिए। कम से कम 30 से 40 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य होना चाहिए जिससे किसानों को भी किसी तरीके का नुकसान नहीं हो। उसने बताया कि अगर प्याज महंगी नहीं होगी तो किसान अगले वर्ष कैसे बोएगा। प्याज के दाम पर शोर मचाने वाले नेताओ को क्या पता प्याज बोने पर कितनी लागत आती है। कितना नुकसान होता है। शोर मचाने के अलावा उनके पास क्या है। उसने कहा कि ये नेता मौकापरस्त होते हैं। पिछले वर्ष हालत यह थी कि बुवाई का भी खर्चा नहीं निकला था।

इधर प्याज व्यापारी पप्पू भाई सैनी ने बताया कि अलवर की मंडी में प्याज महंगे बिकने से किसानों को तो फायदा हो ही रहा है और आढ़तियों को भी फायदा हो रहा है।


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