ओलावृष्टि से पीड़ित किसान अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर
मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के नसरुल्लागंज तहसील कार्यालय के सामने ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।

सीहोर। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के नसरुल्लागंज तहसील कार्यालय के सामने ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है।
नसरुल्लागंज के आसपास के कई गांव के डेढ़ सौ से ज्यादा ओला पीड़ित किसान अपनी खराब फसल को लेकर सोमवार की शाम को 30 किलोमीटर तक की दूरी तय कर तहसील कार्यालय पहुंचे।
किसान तत्काल मुआवजा और बीमा क्लेम देने की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए। स्थिति बिगड़ती देख अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) हरी सिंह चौधरी ने गुस्साए किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने।
इसके बाद किसानों ने देर रात अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल चालू कर दी। उन्होंने तहसील परिसर में ही रात गुजारी और प्रशासन के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की।
किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा ने हमारी पूरी फसल चौपट कर दी है। ऐसे में हमें त्वरित सहायता दी जाए, न कि हर बार की तरह कोई आश्वासन। किसान वहां मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग कर रहे हैं।
भूख हड़ताल और धरना खत्म कराने आज वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राजपूत, भाजपा जिला उपाध्याक्ष रवि मालवीय, भाजयुमो अध्यक्ष राजेश राजपूत, नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि राजेश लखेरा सहित कई जनप्रतिनिधि तहसील कार्यालय पहुंचे और अाश्वासन दिया, लेकिन किसान नहीं माने।
ज्ञातव्य है कि रविवार को तहसील के कई गांवों में ओलावृष्टि के चलते किसानों की फसल को बहुत नुकसान हुआ है।
इसी को लेकर सोमवार को बाईबोड़ी से किसान ने हाथों में गेहूं-चने की खराब फसलें लेकर पैदल मार्च शुरू किया।
जिसमें बाईबोड़ी सहित गोपालपुर बड़नगर, गिल्लोर, मगरिया, शुकरवास, वासूदेव, बोरखेड़ा, रूजनखेड़ी सहित करीब एक दर्जन गांव के किसान शामिल हुए।
ओलावृष्टि से जिले के 62 गांवों में नुकसान की बात सामने आई है। कृषि विभाग के अधिकारी अवनीश चतुर्वेदी ने बताया कि जिले के 62 गांवों से सबसे अधिक 40 गांव नसरुल्लागंज ब्लॉक के हैं। इसके अलावा आष्टा के दो, इछावर के दो, बुदनी के तीन और सीहोर के 15 गांवों में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है।नुकसान का सर्वे जिला प्रशासन स्तर से हो रहा है।
एसडीएम चौधरी ने बताया कि रविवार को ओलावृष्टि से नसरुल्ल्लागंज के 30 गांवों में चने में सौ प्रतिशत और गेहूं की फसल में 80 फीसदी नुकसान होने की बात सामने आई है।
सर्वे की कार्रवाई चल रही है।


