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Farmer Protest: 32 साल बाद किसानों ने लगाई धारा 288, जानिए क्या है ये धारा

देश में इन दिनों किसान आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अन्नदाता सड़कों पर हैं

Farmer Protest: 32 साल बाद किसानों ने लगाई धारा 288, जानिए क्या है ये धारा
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नई दिल्ली। देश में इन दिनों किसान आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अन्नदाता सड़कों पर हैं। ये आंदोलन अब उग्र रुप लेता जा रहा है। सरकार किसानों के दृढसंकल्प को देखकर अब उनसे समझौते को राजी होती दिखाई दे रही है। वैसे आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली चारों ओर से घिर चुकी है।

जहां एक तरह हजारों की संख्या में किसान यहां आ चुके हैं तो वहीं दूसरी ओर यूपी बॉर्डर पर भी किसानों ने डेरा डाला है। कृषि कानूनों के विरोध में भाकियू ने अपने आंदोलन के तीसरे दिन यूपी गेट पर गांव का रूप दे दे दिया। सरकार के अड़ियल रवैये के चलते अब किसान भी अपनी मांगों को लेकर अड़ गए हैं। अब तो हालत ये है कि सड़को को ही घर बना लिया है और वहीं रुकने का मन बना लिया। फ्लाईओवर के नीचे खुले में सर्दी की ठिठुरती रात भी किसान बिताने के लिए तैयार है। इस आंदोलन में ऐसा कुछ हुआ जो आज से 32 साल पहले हुआ था।

जी हां दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर वर्ष 1988 के बाद दूसरी बार धारा-288 लग गई है। दरअसल जिला प्रशासन की धारा 144 के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की धारा 288 को लागू कर दिया गया है। इस धारा से तात्पर्य ये है कि यहां अब किसानों के अलावा किसी का प्रवेश वर्जित है। सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए किसानों ने यूपी गेट पर बैनर भी लगा दिए हैं। यूपी गेट पर किसानों ने बैनर चिपकाकर चेतावनी भरे लहजे में लिख दिया है 'धारा 288 लागू है। इसका मतलब है पुलिस प्रशासन की तरफ से धारा 144 लगाई हुई है, लेकिन उसके विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने धारा 228 लागू की है। यानी दिल्ली यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित है। सिर्फ किसान ही इस क्षेत्र में आ सकते हैं। तो दूसरी तरफ एक सीमा रेखा खींच दी गई है। दिल्ली से किसी को भी इस सीमा को पार करने की अनुमति नहीं है।'

आपको बता दें कि आज मंगलवार को केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के नेतृत्वकर्ताओं को बातचीत के लिए बुलाया गया है। 3 बजे बातचीत के लिए सरकार की तरफ से किसानों को बुलाया गया है। सरकार के निमंत्रण पर किसान अभी विचार करेंगे। जी हां अभी किसान बैठक करेंगे और इस बैठक में वह आगे की रणनीति बनाएंगे।


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