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मुजफ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत की सफाई, मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया

किसान नेता राकेश टिकैत बुधवार को मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान दिवस के कार्यक्रम में पहुंचे। यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने पुराने बयान को लेकर सफाई दी

मुजफ्फरनगर में किसान नेता राकेश टिकैत की सफाई, मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया
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मुजफ्फरनगर। किसान नेता राकेश टिकैत बुधवार को मुजफ्फरनगर में आयोजित किसान दिवस के कार्यक्रम में पहुंचे। यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने पुराने बयान को लेकर सफाई दी।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आयोजित एक किसान कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने एक पुराने बयान को लेकर सफाई पेश की और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बयान को गलत ढंग से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

दरअसल, हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत ने मेरठ में एक विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश और श्रीलंका में जिस तरीके के हालात हैं, वैसे हालात भविष्य में भारत के अंदर भी देखे जा सकते हैं। टिकैत के इस विवादित बयान को लेकर उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और कुछ संगठनों ने उनपर जरूरी कानूनी कार्रवाई की मांग की।

इस विवादित बयान को लेकर राकेश टिकैत ने सफाई देते हुए कहा, उत्तर प्रदेश सरकार की एक गाइडलाइन आई है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी के बयान को काट-छांट या उल्टा-सीधा करके चलाया जाएगा या फिर उसपर गलत कमेंट किया जाएगा तो उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज होंगे और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लोगों को मेरा पूरा बयान दिखाना चाहिए था।

खालिस्तानियों से संबंध और कार्रवाई की मांग करने वाले संगठनों को लेकर किसान नेता ने कहा कि अगर उनके पास कोई सबूत है तो उसको पेश करें और अगर उनका आरोप सही पाया जाता है, तो जरूर कार्रवाई होनी चाहिए।

बता दें कि मुजफ्फरनगर में किसान दिवस के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता शामिल हुए। कार्यक्रम में कई किसानों ने अपनी परेशानी बताई।

इस दौरान राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के मुद्दों पर आंदोलन आगे भी चलते रहेंगे। किसान दिवस पर सभी किसानों को अपनी समस्याएं बतानी चाहिए। सरकार की मंशा है कि किसानों के कुछ संगठनों में आपस में विवाद करा दिया जाए।


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