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किसान परिवार ने अपनों से तंग आकर दी खुदकुशी की चेतावनी

कुछ दिन पहले ही की बात है जब जनसुनवाई में विदिशा जनपद के अंतर्गत ग्राम रमपुरा में रहने वाले मीना परिवार के सदस्य अपने हाथों में सल्फास लेकर जनसुनवाई में पहुंचे थे

किसान परिवार ने अपनों से तंग आकर दी खुदकुशी की चेतावनी
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विदिशा। कुछ दिन पहले ही की बात है जब जनसुनवाई में विदिशा जनपद के अंतर्गत ग्राम रमपुरा में रहने वाले मीना परिवार के सदस्य अपने हाथों में सल्फास लेकर जनसुनवाई में पहुंचे थे। ठीक उसी प्रकार की कहानी कुंआखेड़ी के मेहरूखेड़ी के किसान परिवार द्वारा भी दोहराई जा सकती है। बहुत संभव है कि वे भी अपने हाथों में सल्फास या केरोसिन लेकर जनसुनवाई में जाएं। दरअसल जाटव परिवार अपने ही सगे रिश्तेदारों से उसी प्रकार परेशान है जैसे रमपुरा के परिवार और शमशाबाद के जीरापुर के जाटव परिवार के साथ हुआ था।

विभिन्न स्तरों पर अपनी फरियाद लगा चुके रामदयाल, प्रदीप, उनकी मां जमनाबाई पत्नि स्व. भावसिंह जाटव अब हताश हो चले हैं। उन्हें भी अब आत्महत्या जैसा कदम उठाने की नौबत दिखाई दे रही है। रामदयाल बताते हैं कि उनके परिवार की जमीन का बंटवारा 12 साल पहले हुआ था। पिता के हिस्से में करीब 12 बीघ जमीन आई थी। लेकिन लिखा पढ़ी न करने के कारण हमारे ताऊ घासीराम हमारी अधिकांश जमीन पर कब्जा किए हुए हैं। रामदयाल का कहना है कि सात साल पहले पिता के देहांत के बाद ताऊ घासीराम, उनका लड़का संतोष जाटव लगातार हमारी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। हम यदि विरोध करते हैं तो हमें जान से मारने की धमकी दी जाती है। खेत पर घुसने तक नहीं दिया जाता। रामदयाल ने बताया कि मेरे नाम साढ़े 7 बीघा जमीन में से साढ़े 5 बीघा पर वो कब्जा किए हुए हैं तो वहीं मां के नाम पर ढ़ाई बीघा और भाई के नाम पर सवा बीघा जमीन पर कब्जा कर खेती की जा रही है।

रामदयाल ने बताया कि कुछ दिन पहले उस हलके के पटवारी को बुलाकर नपती कराई गई थी। जिसमें हम तीनों की ही जमीन अलग-अलग थी। लेकिन घासीराम और संतोष जमीन छोड़ना नहीं चाहते। रामदयाल ने यह भी बताया कि कुछ दिनों पहले वे सिविल लाइन थाने में शिकायत लेकर पहुंचे थे, लेकिन वहां तैनात हैड कांस्टेबल ने दोनों पक्षों को समझौता कराकर वापिस भेज दिया। वापिस आने के बाद गांव के हालात और भी ज्यादा खराब हो गए। अब वो खुलेआम धमकी देते हैं। उन्होंने बताया कि संतोष पहले पुलिस का वाहन चलाता था और अब वह पुलिस की सांठगांठ से हमें खेत पर काम नहीं करने दे रहा। रामदयाल और जमनाबाई का कहना है कि जल्द ही समस्या का हल नहीं निकला तो उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ सकता है।


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