Top
Begin typing your search above and press return to search.

किसानों का डर हुआ सच, अडानी के लिए बने कृषि कानून!

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 9 महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं. और सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार अपने फैसले को बदलने को राज़ी नहीं है. सरकार का दावा है कि कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए हैं. लेकिन किसानों को इन कानूनों से डर लग रहा है.

किसानों का डर हुआ सच, अडानी के लिए बने कृषि कानून!
X

पिछले नवंबर से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों का डर अब सच साबित होने लगा है। कृषि बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान शुरू से ये दावा कर रहे थे कि ये कानून अडानी और अंबानी के फायदे के लिए लाए गए हैं. आशंका जता रहे हैं कि इन कृषि कानूनों के आने के बाद बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां अपने हिसाब से फसल के दाम तय कर औने पौने दामों में किसानों से फसलें खरीदेगी जिससे किसानों को काफी नुकसान भुगतना पड़ेगा। और किसानों का ये डर सच भी साबित हुआ जब हिमाचल में गौतम अडानी की कंपनी ने पिछले साल की तुलना में सेब के दाम प्रति किलो 16 रुपए कम तय किए। कंपनी ने जैसे ही दाम तय किए उसके बाद अचानक ही सेब के दाम नीचे गिरने लगे हैं। सेब बागवान परेशान हैं क्योंकि अब उन्हें सेब की पूरी कीमत भी मिलती नहीं दिख रही है. अब हिमाचल कांग्रेस ने किसानों के हित में सरकार और कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोला और शिमला में मौन धरना दिया. हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने अडानी को राज्य में स्टोर खोलने के लिए भारी सब्सिडी दी थी लेकिन अब ये हिमाचल के बागवानों से सस्ता सेब खरीद कर उन्हें महंगे दामों में बेच रहे हैं। राठौर ने कश्मीर की तरह हिमाचल में भी सेब की एमएसपी निर्धारित करने की मांग की है.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it