आधार सीडिंग से खुलने लगी फर्जी गरीबों की पोल
भूमिहीन बनकर अब तक शासन को चूना लगाने वाले कथित गरीब परिवारों की पोल अब आधार नम्बर सीडिंग के बाद खुलने लगी है।

जांजगीर। भूमिहीन बनकर अब तक शासन को चूना लगाने वाले कथित गरीब परिवारों की पोल अब आधार नम्बर सीडिंग के बाद खुलने लगी है। जिले के करीब 10 हजार ऐसे किसान अब तक चिन्हाकिंत किये जा चुके है, जो अब तक भूमिहीन बनकर न केवल सस्ता राशन उड़ाते रहे, बल्कि समर्थन मूल्य पर धान भी बेचते रहे है, जिनकी चालाकी अब आधार नम्बर मर्ज होने के साथ ही पकड़ में आने लगी है। जिले के दस हजार किसानों ने सस्ता राशन पाने के लिए खुद को भूमिहीन, लघु व सीमांत बताकर बीपीएल का राशन कार्ड बनवा लंबे समय तक सस्ता राशन लेते रहे। ऐसे किसानों ने बीते वर्षो में समर्थन मूल्य पर धान भी खूब बेचा।
जब उनके आधार नंबर की सीडिंग की गई तब उनकी चालाकी पकड़ी गई। भूमिहीन तथा पांच एकड़ से कम कृषि भूमि वालों को बीपीएल की श्रेणी में मानते हुए राज्य सरकार ने उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सस्ता राशन देने के लिए पात्र माना है। इससे कम जमीन वाले किसान लघु व सीमांत किसान माने जाते हैं और जिनके पास जमीन ही नहीं वे भूमिहीन माने जाते हैं। बीपीएल के नीचे जीवन यापन करने वालों को सरकार सस्ता राशनए चावलए मिट्टी तेल आदि देती है। ऐसे लोगों की सूची में उन लोगों ने भी अपना नाम शामिल करा लियाए जिनके खाते में पांच एकड़ से अधिक जमीन दर्ज है। ऐसे लघु किसान भी सरकारी तंत्र की आंख में धूल झोंक कर सस्ता राशन लेते रहे।
एक तरफ तो वे बीपीएल हितग्राही बनकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते रहे दूसरी ओर वे समर्थन मूल्य पर धान भी बेचते रहे। मगर इस साल उनकी चालाकी पकड़ी गई है। ऐसे किसानों के अकाउंट से जब आधार कार्ड की सीडिंग की गई तो पता चला कि करीब दस हजार किसानों ने 75 क्विंटल से अधिक धान बेचा हैए जिन्हें सस्ता राशन दिया जा रहा है।
इन हितग्राहियों का पूर्व में आधार नंबर उनके एकाउंट से जोड़ दिए गए थेए लेकिन धान खरीदी के दौरान जब फिर उनका आधार नंबर एकाउंट से जोड़ा गयाए तब इस मामले का खुलासा हुआ। बीपीएल हितग्राहियों द्वारा 75.75 क्विंटल से अधिक धान बेचने का मामला सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी चौक गए। ऐसे किसानों की लिस्टिंग कर ली गई है।


