मालिनी अवस्थी के लोकगीतों पर झूमे पुस्तक प्रेमी
विश्व पुस्तक मेले के थीम मंडप पर शनिवार को लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने मधुर सुरों के साथ पर्यावरण पर आधारित लोकगीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया

नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले के थीम मंडप पर शनिवार को लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने मधुर सुरों के साथ पर्यावरण पर आधारित लोकगीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया। पुस्तक प्रेमी इन लोकगीतों पर झूमते, थिरकते नजर आए। मालिनी ने 'निमिया की डार मैया..' और 'धोबिया' जैसे लोकगीतों की प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष डॉ. बल्देव भाई शर्मा ने मालिनी अवस्थी की सराहना करते हुए उन्हें भारतीय लोक संस्कृति की उपासक तथा लोक संस्कृति की एन्साइक्लोपीडिया कहा।
हॉल सं. 7 में मालिनी अवस्थी के गीतों को सुनने के लिए पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी और सभी ने इस प्रस्तुति का खूब आनंद उठाया। ऐसा लग रहा था कि प्रकृति का संदेश देने वाले लोकगीतों पर पूरा पुस्तक मेला झूम उठा।
शनिवार, छुट्टी का दिन और दिल्ली वालों में पढ़ने का उत्साह, लगन और उत्सुकता उन्हें पुस्तकों के वृहद संसार में ले आई। पुस्तक मेले का ²श्य देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो पुस्तक प्रेमी बचे हुए इन दो दिनों का भरपूर लाभ उठा लेना चाहते हों।
शाम पांच बजे तक एक लाख से अधिक लोग मेले में आ चुके थे। किसी भी हॉल में, किसी भी स्टॉल पर देखिए, हर तरफ पुस्तक-प्रेमियों की अपार भीड़ नजर आ रही थी।
मेट्रो स्टेशनों पर मेले का टिकट खरीदने वालों की लंबी कतारें देखी गईं। मेले में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल महमूद आए और उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की पहल 'हर हाथ एक किताब' के तहत अनेक पुस्तकें दान कीं।
बच्चों और उनके अभिभावकों को पूरे उत्साह के साथ अपनी पसंद की पुस्तकें देखते, पलटते और खरीदते देखकर अपार हर्ष की अनुभूति हो रही थी। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि मुद्रित पुस्तकों का भविष्य केवल सुरक्षित ही नहीं, बल्कि उज्जवल है।


