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फूड वैन वैंडरों को जारी हुए फर्जी अनुमति पत्र

शहर की सड़कों पर फूडवैन व छोटी मोटी दुकान लगाकर जीवन बसर करने वाले लोगों को प्राधिकरण द्वारा अनुमति पत्र जारी किया जाता है

फूड वैन वैंडरों को जारी हुए फर्जी अनुमति पत्र
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नोएडा। शहर की सड़कों पर फूडवैन व छोटी मोटी दुकान लगाकर जीवन बसर करने वाले लोगों को प्राधिकरण द्वारा अनुमति पत्र जारी किया जाता है। लेकिन यह बात जानकार हैरान होंगे जारी किए गए अधिकांश अनुमति पत्र फर्जी है। अनुमति पत्रों पर नवीन ओखला विकास प्राधिकरण का नाम तो दर्ज है लेकिन प्राप्तांक व डिस्पेच नंबर गायब है। साथ ही कार्यालय अधीक्षक के स्थान पर कार्यालय अधिकारी का नाम लिखा है। जिसको लेकर एसीईओ ने जांच के आदेश दिए है।

शहर के कमर्शियल स्थानों पर प्राधिकरण द्वारा फूडवैन व छोटी दुकाने लगाने की अनुमति दी जाती है। यह अनुमति पत्र तभी जारी होता है जब दुकान में बिकने वाला सामान की गुणवत्ता इत्यादि की जांच हो जाती है। लेकिन यहा बिना जांच व बिना अनुमति के ही सैकड़ों की संख्या में अनुमति पत्र जारी कर दिए गए। यह एक गंभीर मसला है।

सूत्रों की माने तो यह काम प्राधिकरण कर्मचारियों की बिना मिली भगत के संभव नहीं है। ऐसे में एक पत्र जारी करने के लिए कितने पैसों का बंदरबाट किया गया। यह भी जांच का विषय है। अनुमति पत्र जारी होने से पहले पत्र के ऊपर प्राप्तांक नंबर लिखा जाता है इसके अलावा जिस डिस्पेच नंबर व जिस अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है उसके बतौर हस्ताक्षर कार्यालय अधीक्षक के स्थान पर होते है। लेकिन यहा ऐसा कुछ भी नहीं।

जबकि पत्र में कार्यालय अधीक्षक के स्थान पर कार्यालय अधिकारी का नाम लिखा है। इस मामले में अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीके अग्रवाल ने टीम का गठन कर जांच के आदेश दिए है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि यह लैटर कौन और कैसे जारी किए गए।
कब और कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

दरअसल, फूड वैन लगाने से पहले वेंडर को प्राधिकरण में आवेदन करना पड़ता है। कई प्रक्रिया से गुजरने के बाद प्राधिकरण वेंडर को गाड़ी खड़ी करने के लिए अनुमति पत्र जारी करता है। जारी करने से वेंडरों को प्राधिकरण की तीन शर्तों का अनुपालन भी करना होता है।


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