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मोदी सरकार की मिलीभगत से हुआ 6,712 करोड़ का दूसरा बैंक फर्जीवाड़ा : कांग्रेस

कांग्रेस ने बैंक फर्जीवाड़े को लेकर गुरुवार को फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस ने कहा कि 'बैंकों को धोखाधड़ी के लिए छोड़' देना नरेंद्र मोदी सरकार की नई संस्कृति है

मोदी सरकार की मिलीभगत से हुआ 6,712 करोड़ का दूसरा बैंक फर्जीवाड़ा : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने बैंक फर्जीवाड़े को लेकर गुरुवार को फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस ने कहा कि 'बैंकों को धोखाधड़ी के लिए छोड़' देना नरेंद्र मोदी सरकार की नई संस्कृति है। कांग्रेस ने एक और आभूषणक कारोबारी जतिन मेहता द्वारा पंजाब नेशनल बैंक समेत अन्य बैंकों को 6,712 करोड़ रुपये की चपत लगाने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "धोखा देना, ठगना, धोखे से लूटना और भाग जाना" घोटालेबाजों के लिए नए सम्मान के बिल्ले हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौन व्रत धारण किए रहते हैं।"

कांग्रेस का आरोप है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के अधीन जन-धन गबन योजना की राशि बढ़कर 39,000 करोड़ रुपये हो गई है।

पार्टी ने कहा कि पीएनबी धोखाधड़ी के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी (गुजरात के पालनपुर के आभूषण कारोबारी) के बाद पालनपुर के एक और कारोबारी जतिन मेहता ने पीएनबी और अन्य बैंकों को 6,712 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

सुरजेवाला ने कहा, "विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड, फोरएवर प्रिसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स लिमिटेड और सु राज डायमंड्स नामक मेहता की तीन कंपनियों द्वारा 6,712 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है।"

उन्होंने कहा, "धोखाधड़ी की कार्यप्रणाली उसी तरह की है जिस तरह नीरव मोदी ने बैंकों को चपत लगाई है। भारतीय बैंकों की ओर से जारी साख पत्रों के आधार पर सोने का आयात किया गया। आभूषण दुबई में 13 इकाइयों को निर्यात किया गया जिन्होंने पैसे देने से मना कर दिया। इस तरह बैंकों के पैसे उड़ा लिए गए।"

सुरजेवाला ने कहा, "मोदी, मेहुल और मेहता- तीन एम- ने एक ही कार्य प्रणाली से साख पत्रों के जरिये धन निकाले और लूटकर अपने विदेशी ठिकाने को कूच कर गए। इन घोटालों में अब तक 39,000 करोड़ रुपये का खुलासा हुआ है। "

सुरजेवाला ने बताया कि मेहता और उनकी पत्नी भी भारत छोड़ चुके हैं।

वे दो जून 2016 में ही भारत की नागरिकता छोड़ कैरीबियाई देश सेंट किट्स और नेविस में बस गए हैं, जिनके साथ भारत सरकार की कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है।

उन्होंने सवाल उठाया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो ने साढ़े तीन साल के बाद पांच जून 2017 में क्यों मामला दर्ज किया जबकि इसकी शिकायत फरवरी 2014 में ही की गई थी।


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