विवाद सुलझाने के प्रयास तेज
मुख्य न्यायाधीश से मिले बार काउंसिल के प्रतिनिधि

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों की पत्रकारवार्ता के बाद से शुरू हुए विवाद को शांत करने की कोशिशें अब तेज हो गई हैं। आज सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा देर रात सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र से उनके घर मुलाकात की। मुलाकात क बाद विकास सिंह ने बताया, मुख्य मुख्य न्यायाधीश ने हमें भरोसा दिलाया है विवाद को सुलझा लिया जाएगा।
4 न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश के बीच शुरू हुए विवाद के बाद बार के प्रतिनिधियों ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति चेलमेश्वर से भी मुलाकात की। इसके साथ ही न्यायमूर्ति लोकुर से भी वार्ता हुई हैं। इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश समेत 4 सवोनिवृत्त न्यायाधीशों ने सीजेआई के नाम खुला खत लिखकर कहा कि वे सर्वोच्च न्यायालय के 4 वरिष्ठ न्यायाधीशों के उठाए मुद्दों से सहमत हैं और इसे 'जुडिशरी के भीतर' ही सुलझाने की जरूरत है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जज पीबी सावंत, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस एपी. शाह. मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व जज के. चंद्रू और बॉम्बे उच्च न्यायालय के पूर्व जज एच. सुरेश ने सीजेआई को लिखे खुले खत को मीडिया में जारी किया। यह खुला खत सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया।
चारों रिटायर्ड जजों ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठ जजों से सहमत हैं कि भले ही रोस्टर तय करने का अधिकार सीजेआई का है और वह केसों को अलग-अलग बेंचों को आवंटित कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे इतने मनमाने तरीके से किया जाए कि संवेदनशील और अहम मामलों को जूनियर जजों की कुछ चुनिंदा बेंचों को आवंटित किया जाए। इस बीच अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश आपस में मामला सुलझा लेंगे। यह मामला जल्द सुलझ जाएगा। सभी जज बहुत अनुभवी हैं।
बार काउंसिल ने बनाया सात सदस्य प्रतिनिधि मंडल
इससे पहले शनिवार शाम को विवाद को सुलझाने के लिए एक बैठक के बाद बार काउंसिल की ओर से न्यायधीशों से बातचीत के लिए सात सदस्यीय प्रतनिधिमंडल का गठन किया गया था और उसे चार शीर्ष न्यायाधीशों की ओर से लगाए गए आरोपों के मद्देनजर सभी से बातचीत कर मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई थी।
सर्वाेच्च न्यायालय का आंतरिक मामला : बार काउंसिल
बीसीआई ने शनिवार को एक बयान में कहा था, काउंसिल का सर्वसम्मति से यह मानना है कि यह सर्वोच्च न्यायालय का आंतरिक मामला है। काउंसिल को उम्मीद व विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस मुद्दे की गंभीरता समझेंगे और भविष्य में इस तरह की किसी भी स्थिति से बचेंगे जिसका राजनीतिक दल या उनके नेता अनुचित फायदा उठा सकते हैं और इससे हमारी न्यायपालिका को नुकसान पहुंच सकता है। काउंसिल ने राजनीतिक दलों व राजनेताओं से न्यायपालिका की आलोचना नहीं करने व इसे मुद्दा नहीं बनाने का आग्रह किया क्योंकि इससे न्यायापालिका की स्वतंत्रता कमजोर होगी, जो कि लोकतंत्र की रक्षक है।


