भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करने संबंधी विधेयक में है खामियां: विपक्ष
लोकसभा में विपक्षी दलों ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करने संबंधी विधेयक में कई खामियां उजागर करते हुये इसे स्थायी संसदीय समिति के पास भेजने की माँग की

नयी दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी दलों ने भगोड़े आर्थिक अपराधियों को दंडित करने संबंधी विधेयक में कई खामियां उजागर करते हुये इसे स्थायी संसदीय समिति के पास भेजने की माँग की।
आर्थिक अपराधियों के देश से भागने पर उनकी संपत्ति जब्त करने संबंधी भगोड़ा अार्थिक अपराधी विधेयक, 2018 पर गुरुवार को सदन में चर्चा में भाग लेते हुए रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन.के. प्रेमचंद्रन ने इसका समर्थन किया, लेकिन कहा कि वह अध्यादेश के जरिये इसको कानून बनाने का विरोध करते हैं। उन्होंने विधेयक को बेहतर बनाने के लिए इसे संसद की स्थायी समिति को भेजने मांग की। सरकार ने इस साल अप्रैल में इससे संबंधित अध्यादेश लागू किया था।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि आर्थिक अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाना ठीक नहीं था। सरकार विभिन्न मामलों में अध्यादेश ला रही है और हाल ही में वह छह अध्यादेश ला चुकी है। यह गलत परंपरा है। बुधवार को जब वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक चर्चा के लिए पेश किया था तो श्री प्रेमचंद्रन ने इसको लेकर जारी अध्यादेश के खिलाफ अपना सांविधिक संकल्प पेश किया किया था।
कांग्रेस के शशि थरूर ने विधेयक में कई खामियां उजागर करते हुये कहा कि इसके कई प्रावधान उच्चतम न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी आदेशों का उल्लंघन करते हैं तथा अदालती कार्यवाही में कहीं नहीं ठहर पायेंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक की धारा 14ए में प्रावधान है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी किसी भी दीवानी अदालत में किसी भी मामले में अपना बचाव नहीं कर पायेगा। इससे ऐसे मामलों में भी उसे अपने बचाव का मौका नहीं मिलेगा जो उसके आर्थिक अपराध से संबद्ध नहीं हैं। यह न्याय के अधिकार का उल्लंघन है।
इसके अलावा उस व्यक्ति से जुड़ी कंपनियों को भी दीवानी अदालतों में अपना बचाव करने या कोई मामला दर्ज करने से रोकने का मतलब उस कंपनी के सभी हिस्सेदारों और कर्मचारियों को प्रताड़ित करना है। हो सकता है कि सरकार का उद्देश्य कंपनी पर अपराधी को हटाने का दबाव बनाना हो, लेकिन कंपनी के बड़े हिस्सेदारों को रातों-रात हटाना संभव नहीं होता।
थरूर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मार्च में कहा था कि सरकार को अपराधी की अनुपस्थिति में भी उस पर मुकदमा चलाने के प्रावधान के लिए कानून बनाना चाहिये। इस विधेयक में जिसका उद्देश्य ही देश से भाग चुके अपराधियों पर कार्रवाई करना है यह प्रावधान किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि इस कानून में आर्थिक अपराधी को अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है जबकि मौजूदा कानून में इसके लिए 30 दिन का समय तय है। इस प्रकार नियमों में ढील दी गयी है।
कांग्रेस सांसद ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किये जाने के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये की राशि की सीमा तय करने पर सवाल उठाते हुये कहा कि उन अपराधियों का क्या जो 99 करोड़ 99 लाख रुपये लेकर भाग गये हैं। यह सीमा हटायी जानी चाहिए। प्रस्तावित कानून में पूर्व में भाग चुके अपराधियों को वापस लाने के बारे में चुप्पी पर उन्होंने कहा कि बड़े आर्थिक अपराधी जतिन मेहता, ललित मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्य पहले ही भाग चुके हैं। उन्होंने सरकार से प्रश्न किया “किसका साथ, किसका विकास?”


