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राज्यसभा में फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक पारित

राज्यसभा ने गुरुवार को फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित कर दिया। इस हफ्ते की शुरूआत में लोकसभा ने इस विधेयक (बिल) को पास कर दिया था

राज्यसभा में फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक पारित
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नई दिल्ली। राज्यसभा ने गुरुवार को फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित कर दिया। इस हफ्ते की शुरूआत में लोकसभा ने इस विधेयक (बिल) को पास कर दिया था। उद्योग की भाषा में फैक्टरिंग को एक वित्तीय लेनदेन के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें एक व्यवसाय ऋण वित्त पोषण के लिए तीसरे पक्ष को प्राप्य खातों को बेचता है। यह कानून छोटे व्यवसायों के लिए अपनी प्राप्तियों का मुद्रीकरण करना आसान बना देगा।

बता दें कि फैक्टरिंग व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है, जहां इकाई/कारक किसी अन्य इकाई की प्राप्तियां हासिल करता है, जिसे एक निर्धारित राशि के लिए असाइनर के तौर पर जाना जाता है। विधेयक में गैर-एनबीएफसी दिग्गजों को शामिल करने का इरादा है, जो फैक्टरिंग व्यवसाय में संलग्न हो सकते हैं।

अगर प्राप्य के बारे में बात करें तो यह एक ऐसी राशि होती है, जो ग्राहकों, जिन्हें देनदार के तौर पर भी जाना जाता है, द्वारा किसी भी सुविधा, सामान या सेवाओं के उपयोग के लिए अपने असाइनरों को देय होती है।

यानी अब संशोधित कानून कारकों (जैसे एनबीएफसी) को छूट पर किसी कंपनी की प्राप्य राशि प्राप्त करने और उन संस्थाओं से प्राप्त करने की अनुमति देगा, जिन पर पैसा बकाया है। इससे कंपनी को अपनी प्राप्तियों को जल्दी से मुद्रीकृत करने और नकदी प्रवाह की समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।

नए कानून ने संस्थाओं के कारक बनने के लिए पात्रता आवश्यकता को भी हटा दिया है। इससे गैर-बैंक ऋणदाताओं को बहुत सारे अवसर मिलने की उम्मीद है।

वर्तमान विधेयक वित्त संबंधी स्थायी समिति की सिफारिशों पर आधारित है।

सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार ने समिति की सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।

एक बार कानून में परिवर्तित हो जाने के बाद, विधेयक से एमएसएमई के रूप में छोटे व्यवसायों के लिए उपलब्ध धन की आपूर्ति में वृद्धि की उम्मीद है।


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