नया पताः राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रिटायरमेंट के बाद इस घर में रहेंगे ,पहले इस मंत्री को था अलॉट
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी पद से मुक्त होने के बाद 10 राजाजी मार्ग में रहेंगे । नये राष्ट्रपति के लिये वोटों की गिनती आज हो रही है। परिणाम शाम तक आने की उम्मीद है
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पद से मुक्त होने के बाद 10 राजाजी मार्ग में रहेंगे । नये राष्ट्रपति के लिये वोटों की गिनती आज हो रही है। परिणाम शाम तक आने की उम्मीद है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) ने बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद को और विपक्षी दलों ने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। राष्ट्रपति पद के लिये 17 जुलाई को मतदान हुआ था।
मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई तक है। श्री मुखर्जी के राष्ट्रपति पद से सेवामुक्त होने के बाद 10 राजाजी मार्ग पर उनका आवास बनाया जा रहा है। बंगले की साज-सज्जा और रंग-रोगन का काम लगभग पूरा हो गया है। यह बंगला 11776 वर्ग फुट में फैला हुआ है। इसी बंगले में पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम भी रहते थे।
यह बंगला पहले केन्द्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा को आवंटित किया गया था जिन्हें बाद में 10 अकबर रोड स्थित बंगला आवंटित किया गया । पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के नाम पहले 10 अकबर रोड का बंगला आवंटित था। उनके गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद पणजी चले जाने से 10 अकबर रोड का बंगला खाली था।
राष्ट्रपति भवन में रहते हुए श्री मुखर्जी की सेवा में 200 लोग काम कर रहे थे किन्तु अवकाश प्राप्त करने के बाद उनकी सेवा में केवल पांच लोग ही रहेंगे। हवाई जहाज और रेलगाड़ी में मुफ्त सफर की सुविधा के अलावा मुखर्जी को चिकित्सा सुविधाएं भी मुफ्त मिलेगी।
राष्ट्रपति पद पर रहते हुए मुखर्जी को डेढ़ लाख रुपये मासिक वेतन मिलता था। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 75 हजार रुपये मासिक पेंशन मिला करेगी। मुखर्जी को सेवानिवृत्ति के बाद एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव , एक निजी सहायक और दो चपरासी मिलेंगे । वर्ष 2008 में राष्ट्रपति का वेतन 50 हजार रुपये था ।
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान इसे बढाकर डेढ लाख रुपये किया गया था। राष्ट्रपति पेंशन नियम 1962 के अनुसार सेवानिवृत्त राष्ट्रपति को देश में कहीं भी नि:शुल्क आवास मुहैया कराया जाता है।
आवास में बिजली और पानी भी नि:शुल्क रहता है। देश के 13 वें राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी का कार्यकाल इतिहास भरा रहेगा । उनके कार्यकाल के दौरान ही मुंबई के 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब, संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा पर मोहर लगी।
मुखर्जी के पास पांच वर्षीय कार्यकाल के दौरान 37 क्षमा याचिकाएं आई, किन्तु उन्होंने अधिकांश में न्यायालय की सजा में किसी प्रकार की तब्दीली नहीं की। उन्होंने क्षमा याचना के लिये आये 28 अपराधियों की फांसी को बरकरार रखा ।
मनमोहन सिंह की अगुआई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद श्री मुखर्जी 25 जुलाई 2012 को देश के 13वें राष्ट्रपति बने थे।


