जी 20 देशों के कृषि मंत्रियों की असाधारण बैठक
जी-20 देशों की मंगलवार को हुई असाधारण बैठक में इस महामारी पर नियंत्रण के लिए सख्त सुरक्षा और स्वच्छता उपायों पर विज्ञान आधारित अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश विकसित करने पर भी सहमति व्यक्त की गई।

नई दिल्ली। जी-20 देशों के कृषि मंत्रियों ने कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप की पृष्ठभूमि में खाद्य अपव्यय और नुकसान से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग करने और सीमाओं के पार भी खाद्य आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने का संकल्प लिया है।
जी 20 देशों ने खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए एक साथ काम करने, सीखे गए सर्वोत्तम अभ्यासों और अनुभवों को साझा करने, अनुसंधान, निवेशों, नवाचारों तथा सुधारों को बढ़ावा देने का भी संकल्प किया, जो कृषि और खाद्य प्रणालियों की स्थिरता और लचीलापन में सुधार करेंगे।
जी-20 देशों की मंगलवार को हुई असाधारण बैठक में इस महामारी पर नियंत्रण के लिए सख्त सुरक्षा और स्वच्छता उपायों पर विज्ञान आधारित अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देश विकसित करने पर भी सहमति व्यक्त की गई।
कोविड-19 से निपटने के लिए जी 20 देशों के कृषि मंत्रियों की हुईं इस असाधारण बैठक में खाद्य सुरक्षा, संरक्षा और पोषण पर इस महामारी के प्रभाव को लेकर चर्चा की गई। बैठक के दौरान खाद्य अपव्यय एवं नुकसान से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का संकल्प लिया गया।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित इस बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट से निपटने के लिए सहयोगी देशों में सबसे आगे हैं और देश के नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप कृषि मंत्रालय भी इसमें पीछे नहीं है।
श्री तोमर ने इस वैश्विक महामारी के खिलाफ सभी देशों से एकजुटता के साथ लड़ने का आह्वान किया। सऊदी अरब के पर्यावरण, जल एवं कृषि मंत्री अब्दुल रहमान अलफाजली की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्य रूप से केविड -19 के मुद्दे पर चर्चा की गई। इसमें सभी जी-20 सदस्यों, कुछ अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उन्होंने सऊदी अरब द्वारा जी-20 देशों को, किसानों की आजीविका सहित खाद्य आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करने के लिए एक साथ लाने की पहल का स्वागत किया। उन्होंने सामाजिक सुधार, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, लॉकडाउन अवधि के दौरान सभी कृषि कार्यों को छूट देने और आवश्यक कृषि उपज और खाद्य आपूर्ति की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के निर्णयों को साझा किया।
उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ, संयुक्त लड़ाई में भारत के लोगों की ओर से एकजुटता का आह्वान करते हुए सभी प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। साथ ही इस विशेष समस्या का समाधान करने के लिए जी-20 के कृषि मंत्रियों की यह असाधारण बैठक बुलाने के लिए सऊदी अरब के प्रति विशेष आभार जताया।
श्री तोमर ने कहा कि श्री मोदी निजी तौर पर विश्व के राष्ट्र प्रमुखों के साथ निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं तथा इस बैठक से एक ऐसा सुअवसर प्राप्त होगा जिसके माध्यम से भारत समस्त मानव जाति के लिए खाद्यान्न और किसान उत्पादकों के लिए आजीविका सुनिश्चित करके जी-20 के इस संकल्प में योगदान करेगा। सभी जानते हैं कि लॉजिस्टिक्स और उत्पादन चक्र में अवरोध के कारण उत्पन्न चुनौतियों से खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में भारत की सशक्त परिसंघीय व्यवस्था और विविधता में एकता अपेक्षा के अनुसार मजबूत होकर सामने आई है।
इस संबंध में सभी राज्य अपेक्षित व्यवस्थाओं को निर्धारित करने, केन्द्र सरकार के अनुदेशों और फैसलों पर अमल करने के लिए एकजुट हैं। भारत के लिए कृषि प्राथमिकता का क्षेत्र है तथा आवश्यक कृषि कार्यों की इस आशय के साथ अनुमति दी गई है ताकि सामाजिक दूरी, सफाई और स्वच्छता संबंधी आवश्यक नवाचारों की पाबंदी का पालन करते हुए कृषि संबंधी प्रचालनों को जारी रखा जा सकें।
श्री तोमर ने कहा कि जब यह महामारी शुरू हुई थी, तब प्राथमिक चिंता यह थी कि तैयार फसल की कटाई कैसे होगी। किसान खेतों में कोरोना से लड़ने वाले सच्चे योद्धा हैं, जिसके फलस्वरूप तीन करोड़ दस लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोये गए 67 प्रतिशत से भी अधिक गेहूं को काट लिया गया है। तिलहन और दलहन की कटाई पूरी हो चुकी है। ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई पिछले वर्ष समवर्ती अवधि की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक है। आगामी वर्षा के दौरान बुआई संबंधी आदान राज्यों में पहुंचाए जा रहे हैं, इसलिए एक बार फिर अच्छी फसल होने का विश्वास है।
उन्होंने कहा कि देश में आयात को सहज और सरल बनाने के लिए एक लचीली कार्यपद्धति अपनाई गई है- पादप स्वच्छता प्रमाण-पत्रों की डिजिटल प्रतियां स्वीकार की जा रही हैं। उन्होंने कहा, “चावल, गेहूं, फलों और सब्जियों के प्रमुख निर्यातक होने संबंधी अपनी स्थिति को समझते हैं और यह भी जानते हैं कि कई अन्य देश इन उत्पादों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए भारत पर भरोसा करते हैं। उनका यह भरोसा कायम रहेगा।”


