किसानों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया: सचिन पायलट
सचिन पायलट ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस की गोली से मारे गये पांच किसानों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे भाजपा सरकार की किसानों के प्रति बर्बर कार्यवाही बताया है
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस की गोली से मारे गये पांच किसानों की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे भाजपा सरकार की किसानों के प्रति बर्बर कार्यवाही बताया है।
पायलट ने आज यहां एक बयान जारी कर देश के भाजपा शासित समस्त राज्यों द्वारा किसानों द्वारा अपना हक मांगे जाने पर आन्दोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक कार्यवाही करने का आरोप लगाते हुये कहा कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुयी घटना इसका ज्वलंत उदाहरण है।
उन्होंने मध्य प्रदेश की घटना के लिए वहां की भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस पर दोषारोपण करने को हास्यास्पद बताते हुये कहा कि यह जवाबदेही से बचने का प्रयास मात्र है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने समाज के हर वर्ग के साथ सत्ता हालिस करने के लिए झूठे वादे किये है और जब उन वादों की याद दिलवायी जाती है तो सरकार बर्बरता पर उतरकर दमनात्मक कार्यवाही करती है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अन्नदाता को राहत देने के स्थान पर भाजपा शासित सरकारें उनकी अनदेखी कर रही है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी अब तक 60 के करीब किसानों ने सरकारी सहायता से वंचित रहने तथा आपदाओं में फसल बर्बाद होने से दु:खी होकर आत्महत्या कर चुके है लेकिन सरकार ने अभी तक किसानों की आत्महत्या पर ना तो संज्ञान में लिया और ना ही राहत देने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में जिस प्रकार पुलिस ने सरकार के इशारे पर किसानों के सीने में गोलियां उतारी है, वह भाजपा की किसानों के प्रति संवेदनहीन सोच का परिचायक होने के साथ ही इस बात का भी सूचक है कि वह किसान और खेती को बर्बाद करने पर तुली है।
उन्होंने कहा कि किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत लाभांश देने का वादा भाजपा का चुनावी वादा को अव्यावहारिक करार देकर भाजपा ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है।
प्रदेश में 10 लाख किसान साढ़े तीन वर्ष पूर्व आयी आपदा के मुआवजे की आज तक बाठ जोह रहे हैं और किसानों की अधिकांश फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मूंग की बम्पर पैदावार होने के बावजूद समर्थन मूल्य का भुगतान नहीं होने से किसानों को आगामी फसल के लिए बाजार से ऊंचे ब्याज पर ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।


