अपनी कुशलता को बेहतर बनाएं छात्र : देवेन्द्र नारायण
शोभित विश्वविद्यालय में उद्यमिता कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार विकास पर कार्यशाला का आयोजन

मेरठ। सोमवार को शोभित विश्वविद्यालय में यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट इन्नोवेशन काउंसलिंग द्वारा उद्यमिता कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार विकास पर कार्यशाला कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिसका उदेश्य छात्र छात्राओं के अंदर उद्यमिता कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार विकास को उत्पन्न करना था। कार्यशाला में शोभित विश्वविद्यालय के एचआर एवं कॉरपोरेट रिलेशन के वरिष्ठ निदेशक देवेंद्र नारायण बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो एपी गर्ग एवं प्रति कुलपति प्रो डॉ जयानंद एवं मुख्य वक्ता देवेंद्र नारायण द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर की गई।
देवेंद्र नारायण ने उधमिता के लिए आवश्यक प्राथमिक कौशल के बारे में विस्तृत रूप से छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने छात्रों को मुंबई डब्बावाला जैसे जीवंत उदाहरण देते हुए उधमिता के विषय में समझाया।
विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि आज के समय में छात्रों के अंदर नेतृत्व गुणवत्ता की बहुत कमी है। इसको बेहतर करने के लिए छात्रों को अपनी प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही अपनी कक्षा के अंदर अपने शिक्षकों से भिन्न भिन्न प्रकार के प्रश्न करके अपनी नेतृत्व कुशलता को बेहतर बनाने पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने साक्षरता एवं शिक्षा के बीच के अंतर को सभी को समझाया।
इसके अलावा उन्होंने एक सब्जी विक्रेता का उदाहरण देते हुए सभी को समझाया कि हमें अपने उपभोक्ता से किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए। सभी को एक कुशल उद्यमी की तरह सोचने और काम करने के लिए प्रेरित किया। एक सफल उद्यमी बनने के लिए व्यक्ति के पास सकारात्मक व्यवहार एवं सही दृष्टिकोण होना जरूरी है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एपी गर्ग ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अब हमें नौकरी करने वाला नहीं नौकरी देने वाला बनने के बारे में सोचने की आवश्यकता है। प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर जयानंद ने कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशाला छात्रों के अंदर उधमिता कौशल को बढ़ावा देती हैं।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ निधि त्यागी रही। सत्र के दौरान सभी विभागो के डीन एवं निदेशक मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ निशांत पाठक राजीव, विजय, मनोज कुमार, शुभम शर्मा डॉ अनिकेत कुमार एवं शमशाद एवं छात्रों का विशेष योगदान रहा।


