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विशेषज्ञ बोले, लंबे समय तक ईडी को चकमा नहीं दे पाएंगे अनुब्रत मंडल

ईडी के अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के पशु तस्करी घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाने की तैयारियों को झटका लगा है।

विशेषज्ञ बोले, लंबे समय तक ईडी को चकमा नहीं दे पाएंगे अनुब्रत मंडल
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कोलकाता, 25 दिसम्बर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के पशु तस्करी घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाने की तैयारियों को झटका लगा है। 19 दिसंबर को नई दिल्ली में राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा ईडी को अनुब्रत मंडल को दिल्ली ले जाने की अनुमति देने वाले प्रोडक्शन वारंट को मंजूरी देने के कुछ ही घंटों बाद बीरभूम जिले के दुबराजपुर पुलिस स्टेशन में मंडल के खिलाफ हत्या का एक नया मामला सामने आया। अगले ही दिन बीरभूम जिले की एक निचली अदालत ने मंडल को सात दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जिससे ईडी की अनुब्रत को दिल्ली ले जाने की योजना पटरी से उतर गई।

विपक्षी दलों बीजेपी, सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और राज्य पुलिस की साजिश बताया है। ताजा मामला सत्ताधारी पार्टी के एक पूर्व पंचायत सदस्य की शिकायत के आधार पर सामने आया है। मंडल पर पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले उनका गला दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया देने से परहेज किया है कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है।

कानून के जानकारों व पुलिस का कहना है कि नए घटनाक्रम से केंद्रीय एजेंसी को फिलहाल बाधित कर दिया है, लेकिन मंडल लंबे समय तक दिल्ली ले जाने से बच नहीं पाएंगे।

पश्चिम बंगाल पुलिस के सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक नजरूल इस्लाम को लगता है कि इस बात की संभावना है कि तृणमूल कांग्रेस को अस्थायी राहत देने वाला यह घटनाक्रम लंबे समय में उनके लिए अधिक हानिकारक साबित होगा।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील ज्योति प्रकाश खान का कहना है कि पहले से ही यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका का एक वर्ग अनुब्रत मेडल के खिलाफ इस प्रभावशाली सिद्धांत के बारे में आश्वस्त होना शुरू कर दिया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक पीठ के समक्ष मोंडल की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने इस मुद्दे को दो बार न्यायालय के भीतर संदर्भित किया। न्यायमूर्ति बागची ने यह भी टिप्पणी की कि केंद्रीय और राज्य दोनों एजेंसियां मंडल पर नजर रख रही हैं, यह साबित करता है कि वह कितना महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि नए मामले ने मंडल को अस्थायी राहत दी है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक अन्य वकील कौशिक गुप्ता को भी लगता है कि नए घटनाक्रम से मंडल खुद को दिल्ली ले जाने से रोक नहीं पाएंगे।

उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि हत्या के प्रयास के इस मामले में पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद किसी अन्य पुलिस स्टेशन में एक और मामला दर्ज किया जा सकता है, जिसके लिए राज्य पुलिस हिरासत की मांग करेगा। गुप्ता ने कहा, लेकिन पुराने मामलों को खोलने का यह चलन कब तक जारी रहेगा? इसलिए, मेरी राय में अब ईडी को घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और स्थिति के अनुसार कानूनी कदम उठाते रहना चाहिए।


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