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मेट्रो सफर को महंगा करना जनविरोधी कदम : स्वराज इंडिया

स्वराज इंडिया ने दिल्ली मेट्रो का किराया छह महीने में दोबारा बढ़ाने के निर्णय को जन-विरोधी कदम बताया है

मेट्रो सफर को महंगा करना जनविरोधी कदम : स्वराज इंडिया
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नई दिल्ली। स्वराज इंडिया ने दिल्ली मेट्रो का किराया छह महीने में दोबारा बढ़ाने के निर्णय को जन-विरोधी कदम बताया है। पार्टी ने कहा कि दिल्ली की लगातार बढ़ती आबादी के लिए आज भी सार्वजनिक परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। दिल्ली में डीटीसी बसों की व्यवस्था भी चरमराई हुई है।

ऐसे में मेट्रो के सफर को भी महंगा करना जनविरोधी कदम है। स्वराज इंडिया ने मांग की है कि पिछले 10 मई को हुई वृद्धि के बाद अब कम से कम एक साल तक किराए में बढ़ोत्तरी की कोई भी कोशिश न हो। पार्टी ने कहा है कि यदि इस जनविरोधी निर्णय को वापस नहीं लिया जाता है तो दिल्ली की जनता के हक में उसे मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनुपम ने गुरुवार को कहा, "दिल्ली मेट्रो ने देश की राजधानी की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में एक अहम योगदान निभाया है। लेकिन, छह महीने में दो बार किराए में अप्रत्याशित वृद्धि दिल्ली के छात्रों, महिलाओं, आम जनता, गरीब एवं मध्यम वर्ग पर कठोर वार है। बीते 10 मई को 2009 के बाद पहली बार मेट्रो किराया बढ़ाया गया था, इसलिए पिछली वृद्धि का विरोध नहीं किया गया।"

उन्होंने कहा कि अब अक्टूबर से दोबारा किराए में बढ़ोतरी की जा रही है। ये भी जानकारी है कि इस वृद्धि का निर्णय मई की बैठक में ही ले लिया गया था। मात्र छह महीने की समय सीमा में किराए में हो रहे इस बढ़ोतरी पर स्वराज इंडिया कड़ा विरोध जताती है।

अनुपम ने मांग की कि अक्टूबर से मेट्रो के बढ़ने वाले किराए पर तत्काल रोक लगे और किराया वृद्धि संबंधी अगली कोई भी समीक्षा कम से कम एक साल तक न हो। वरना इस जनविरोधी निर्णय से दिल्ली के छात्रों, गरीब एवं मध्यम वर्ग परिवारों की कमर टूट जाएगी।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, "जिस तीन-सदस्यीय किराया निर्धारण समिति ने ये सुझाव दिए थे, उसमें सेवानिवृत उच्च न्यायालय न्यायाधीश और शहरी विकास मंत्रालय के सचिव के अलावा दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव भी थे। आरटीआई से ये भी जानकारी मिली है कि उस तीन-सदस्यीय समिति ने जापान, हांगकांग, सिंगापुर, ताईवान जैसे देशों में किराए का अध्ययन करने के लिए सिर्फ विदेश यात्राओं पर 8.5 लाख से अधिक रुपये खर्च कर दिए।"

अनुपम ने कहा कि मेट्रो रेल में केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के बीच 50-50 की भागीदारी है। यहां तक कि किराए पर अंतिम निर्णय लेने वाले दिल्ली मेट्रो बोर्ड में भी दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मई महीने की जिस बैठक में ये निर्णय लिए गए, उसमें दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री भी मौजूद थे। लेकिन, हैरत की बात है कि जिस दिल्ली सरकार की सहमति से किराया बढ़ाने का निर्णय हुआ उसी सरकार के मुख्यमंत्री आज बेशर्मी से विरोध का नाटक करने लगे हैं।

अनुपम ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हरकत को ओछी राजनीति का एक और नमूना बताते हुए सवाल किया कि अगर केजरीवालजी को दिल्लीवासियों की इतनी ही चिंता थी तो मई महीने की बैठक में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि ने इसका विरोध क्यों नहीं किया? दो चरणों में किराया बढ़ाने के निर्णय पर स्वयं मुहर लगाने के बाद मुख्यमंत्री अब विरोध करने का तमाशा क्यों कर रहे हैं?


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