छोड़ कर भागने वाले एनआरआई दूल्हों के लिए सख्त होंगे कानून
एनआरआई दूल्हों द्वारा शादी करके पत्नी को छोड़कर विदेश चले जाने के मामलों पर अब केंद्र सरकार सख्त रूख अख्तियार करने जा रही है

नई दिल्ली। एनआरआई दूल्हों द्वारा शादी करके पत्नी को छोड़कर विदेश चले जाने के मामलों पर अब केंद्र सरकार सख्त रूख अख्तियार करने जा रही है। चूंकि मौजूदा कानून के तहत यदि कोई एनआरआई दूल्हा किसी लड़की के साथ शादी करके उसे छोड़ कर विदेश चला जाता है तो उसे अपने देश में वापस लाना बहुत मुश्किल है। इसलिए देश में शादी करके लड़की को छोड़ कर विदेश भागने वाले एनआरआई दूल्हों को सजा दिलाने के लिए एक सख्त कानून की आवश्यकता को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी इन मामलों में अपनी रिपोर्ट व सिफारिशें देगी ताकि इन मामलों से निपटा जा सके।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने बताया कि उन्हें भी इस कमेटी का सदस्य बनाया गया है और इसी कड़ी में ऐसे मामलों की जानकारी आज पंजाब एनआरआई कमिश्न के चेयरपर्सन रिटायर्ड जस्टिस राकेश गर्ग व मेंबर अनिल कुमार से मुलाकात कर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि पंजाब में सबसे अधिक लोग विदेश में रहते हैं। इसलिए एनआरआई दूल्हों द्वारा यहां लड़की से शादी करके उन्हें छोड़कर विदेश चले जाने के मामले सबसे अधिक आते हैं। एनआरआई कमिशन के साथ हुई मीटिंग बहुत महत्वपूर्ण रही और एनआरआई दूल्हों द्वारा शादी करके लड़कियों को छोड़कर चले जाने के मुद्दे पर उन्होंने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पंजाब महिला आयोग को भी पत्र लिखकर ऐसे मामलों का ब्यौरा, सुझाव मांगा है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह पंजाब में एनआरआई कमिश्न बनाया गया है इस तरह के एनआरआई कमिश्नर की पूरे देश में आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नेशनल ह्यूमन राइट्स कॉमिशन के तर्ज पर एनआरआई कमिश्न पावरफुल होने चाहिए। एक एनआरआई कॉमिशन नेशनल लेवल पर होना चाहिए और सभी शादियां रजिस्टर्ड होनी चाहिए।
सुश्री जयहिंद ने बताया कि कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने से पहले पंजाब व अन्य राज्यों में चल रहे महिला आयोग व एनआरआई कमीशन आदि का दौरा कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब महिला आयोग द्वारा इस संबंध में रिपोर्ट भेजने के बाद व अन्य राज्यों से मिलने वाली शिकायतों के आधार पर वे अपनी रिपोर्ट देंगी। स्वाति ने लोगों से भी इस बारे में सुझाव मांगते हुए कहा किपुरुषों के सुझावों का भी स्वागत होगा और क्योंकि ऐसा कानून बनाने की कोशिश की जाएगी जिसमें महिलाओं व पुरुषों दोनों को न्याय मिले। बीते एक एक साल में दिल्ली महिला अयोग ने 12 हजार मामलों में 55 सिफारिश सरकारों को भेजी हैं।


