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आबकारी नीति : दिल्ली हाईकोर्ट ने मगुंता की पत्नी के मेडिकल टेस्ट का निर्देश दिया

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद मगुंता श्रीनिवासुलू रेड्डी के बेटे राघव मगुंता की पत्नी का चिकित्सकीय जांच कराने का आदेश दिया

आबकारी नीति : दिल्ली हाईकोर्ट ने मगुंता की पत्नी के मेडिकल टेस्ट का निर्देश दिया
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद मगुंता श्रीनिवासुलू रेड्डी के बेटे राघव मगुंता की पत्नी का चिकित्सकीय जांच कराने का आदेश दिया। मगुंता ने राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल के 8 मई के आदेश में उनकी पत्नी की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर दायर उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), जिसे पहले उच्च न्यायालय द्वारा मगुंता की याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था, ने उसकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है और अंतरिम जमानत दिए जाने से पहले आरोपी की पत्नी की सरकारी अस्पताल में चिकित्सा जांच जरूरी है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने तब निर्देश दिया कि आरोपी की पत्नी की मेडिकल जांच सात दिनों के भीतर चेन्नई के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में कराई जाए। हालांकि जांच एजेंसी ने कहा कि मगुंता की पत्नी की मेडिकल जांच दिल्ली या आंध्र प्रदेश के किसी अस्पताल में कराई जानी चाहिए।

यह तर्क देते हुए कि अभियुक्त की पत्नी को विस्थापित नहीं किया जा सकता, मगुंता के वकील ने कहा कि चिकित्सा जांच केवल चेन्नई के एक अस्पताल में कराई जानी चाहिए और पत्नी की मदद करने के लिए उसके मुवक्किल को उस अवधि के दौरान रिहा किया जाना चाहिए।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 मई को मुकर्रर की है।

पेश किए गए दस्तावेजों में किसी भी महत्वपूर्ण या गंभीर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को उजागर नहीं किया गया था, जिससे अदालत को यह निष्कर्ष निकालना पड़ा कि मगुंता की अनुपस्थिति में परिवार के अन्य सदस्य संभावित रूप से उसकी देखभाल कर सकते हैं।

अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि मगुंता ने यह तर्क नहीं दिया कि उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उपलब्ध नहीं था। नतीजतन, अंतरिम जमानत के लिए आवेदन योग्यता से रहित था।

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, कथित 100 करोड़ रुपये रिश्वत का एक हिस्सा आम आदमी पार्टी द्वारा गोवा विधानसभा चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया गया था। मनी-लॉन्ड्रिंग का यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है।


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