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उत्पाद शुल्क नीति मामला : दिल्ली हाईकोर्ट गिरफ्तारी, रिमांड के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर बुधवार को करेगा सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्पाद शुल्क नीति मामले वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और इस सिलसिले में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित रिमांड आदेश के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा

उत्पाद शुल्क नीति मामला : दिल्ली हाईकोर्ट गिरफ्तारी, रिमांड के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर बुधवार को करेगा सुनवाई
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि उत्पाद शुल्क नीति मामले वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और इस सिलसिले में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित रिमांड आदेश के खिलाफ दायर उनकी याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा।

अदालत ने मंगलवार को कहा कि याचिका में दलील दी गई है कि गिरफ्तारी और ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित रिमांड आदेश अवैध था और केजरीवाल तुरंत हिरासत से रिहा होने के हकदार हैं। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा करेंगी।

कोर्ट ने 23 मार्च को केजरीवाल की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था।

केजरीवाल की कानूनी टीम ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

अदालत ने ईडी को 28 मार्च तक दिल्ली के सीएम की हिरासत दी थी। ईडी ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी (आप) कथित शराब घोटाले से अर्जित अपराध की आय के प्रमुख लाभार्थी हैं।

ईडी ने कहा है कि केजरीवाल आम आदमी पार्टी (आप) के मंत्रियों, नेताओं और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से उत्पाद शुल्क नीति मामले में "किंगपिन और मुख्य साजिशकर्ता" हैं।

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केजरीवाल को 28 मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था। ईडी का आरोप है कि "कुछ व्यक्तियों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने" के लिए उत्पाद शुल्क नीति तैयार की गई थी और बदले में "शराब कारोबारियों से रिश्‍वत मांगने" में भी शामिल थे। जांच एजेंसी ने दावा किया कि उस नीति में रिश्‍वत देने वालों को लाभ दिया गया।

जांच एजेंसी ने कहा, "विचाराधीन नीति का मसौदा 'साउथ ग्रुप' को दिए जाने वाले उपकारों को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा था और इसे विजय नायर, मनीष सिसोदिया और 'साउथ ग्रुप' के सदस्यों-प्रतिनिधियों की मिलीभगत से बनाया गया था। इसलिए न केवल आम आदमी पार्टी, बल्कि अरविंद केजरीवाल को पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराधों का दोषी माना जाएगा और पीएमएलए की धारा 70 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और दोषी को दंडित किया जा सकता है।"


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