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शराब सिंडीकेट के ओवर रेटिंग मामले में आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध
शराब सिंडीकेट और आबकारी विभाग की इसी तरह की मिलीभगत दो वर्ष पूर्व भी पूरे प्रदेश में चल रही थी। जिसको देशबन्धु ग्रुप के डिजिटल चैनल डीबी लाइव ने कई जिलों में स्टिंग कर उजागर किया था

भोपाल: शराब के सिंडीकेट में खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने पांच शराब कारोबारियों के खिलाफ भोपाल में मामला दर्ज किया है। इस कार्रवाई के बाद आबकारी विभाग के अफसरों की भूमिका पर भी जांच की जाएगी। अफसरों से सिंडीकेट को लेकर पूछताछ होगी कि आखिर विभाग की नाक के नीचे कैसे शराब कारोबारी इस तरह खेल कर रहे थे। इतना ही नही जिन पांच शराब कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है उसमें आबकारी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी।
शराब सिंडीकेट और आबकारी विभाग की इसी तरह की मिलीभगत दो वर्ष पूर्व भी पूरे प्रदेश में चल रही थी। जिसको देशबन्धु ग्रुप के डिजिटल चैनल डीबी लाइव ने कई जिलों में स्टिंग कर उजागर किया था। उस समय भी सिंडीकेट व आबकारी विभाग के सांथ गांठ के सबूत सामने आए थे। और ग्वालियर में पदस्थ आबकारी उपायुक्त शैलेश सिंह को हटाया गया था। जबलपुर में शराब की ओवर रेटिंग की घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कहीं अन्य संभागों में भी तो आबकारी विभाग की मिलीभगत से शराब की ओवर रेटिंग नहीं चल रही । अगर ऐसा होता है तो इन अन्य संभागों में भी ईओडब्ल्यू इसी तरह की कार्यवाही कर सकता है। ग्वालियर संभाग दो वर्ष पूर्व इस तरह की ओवर रेटिंग में सबसे अधिक चर्चित रहा था।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने मंगलवार को जबलपुर के पांच शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। ये निर्धारित दाम से 131 रुपये अतिरिक्त वसूल रहे थे। मामले को रंगे हाथ पकड़ने के लिए आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों के अधिकारी शराब दुकानों में ग्राहक बनकर पहुंचे थे। यह सभी शराब दुकान ठेकेदार सिंडीकेट में शामिल है। ईओडब्ल्यू के अनुसार जिन पर एफआईआर हुई उनमें बिलहरी की मेसर्स आकर्ष जयसवाल, गैरीसन ग्राउंड सदर की मां नर्मदा एसोसिएट्स, मालवीय चौक की मेसर्स संदीप यादव, रानीताल चौक की नरेन्द्र कुमार रजक और शारदा चौक की अमन जयसवाल की फर्म शामिल है।
आपको बता दें कि आबकारी नीति के अनुसार शराब कि बोतल पर एमएसपी (मिनिमम सेलिंग प्राइस) व ( एमआरपी मैक्सिमम सेलिंग प्राइस) अंकित रहता है। शराब न तो एमएसपी से कम दाम में बेची जा सकती है और न ही एमआरपी से अधिक दाम में। संभवत यह पहला मामला है जब शराब की ओवर रेटिंग की वजह से आर्थिक अपराध ब्यूरो ने प्रकरण दर्ज किए हों।
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