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आश्रम छात्रावासों में हर बच्चे की बनेगी हेल्थ शीट : कलेक्टर

 आश्रम-छात्रावासों में होने वाले नियमित चेकअप के बाद अब हर बच्चे की हेल्थ शीट बनेगी

आश्रम छात्रावासों में हर बच्चे की बनेगी हेल्थ शीट : कलेक्टर
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दंतेवाड़ा। आश्रम-छात्रावासों में होने वाले नियमित चेकअप के बाद अब हर बच्चे की हेल्थ शीट बनेगी। इसमें बच्चे का ब्लड ग्रूप, हीमोग्लोबीन, बॉडी मास इंडेक्स एवं अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सूचकांकों का डिटेल दर्ज होगा। यह निर्देश कलेक्टर सौरभ कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि हर बच्चे के फोटोग्राफ के साथ यह सूचनाएँ दर्ज की जाएंगी। फिर नियमित अंतराल के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पुन: उसी आश्रम-छात्रावास में पुन: रिपोर्ट लेंगे। इससे छात्रावासों में विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के संबंध में बेहतर जानकारी प्राप्त हो सकेगी तथा किसी तरह की दिक्कत महसूस होने पर समय पर कार्रवाई की जा सकेगी।

कलेक्टर ने कहा कि बॉडी मॉस इंडेक्स के हिसाब से बच्चे की ग्रोथ देखी जाएगी। जिन आश्रम शालाओं में बॉडी मॉस इंडेक्स के अनुसार बच्चों की ग्रोथ नहीं होती है वहाँ अधीक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि इस तरह हर बच्चे की हेल्थ शीट रखने से उस छात्रावास में बच्चे की हो रही हेल्थ केयर, उनको दिया जा रहे पोषण आहार के संबंध में ज्यादा जानकारी प्राप्त हो सकेगी। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को दिया जाने वाला आहार बहुत महत्वपूर्ण होता है यदि बच्चों को संपूर्ण पोषण नहीं मिल पाएगा तभी उनकी ग्रोथ प्रभावित होगी। जिले की सभी आश्रम शालाओं से ऐसे आँकड़े मिल जाने पर इनका तुलनात्मक अध्ययन आसान होगा तथा इसके अनुरूप कार्रवाई की जा सकेगी। उन्होंने स्वास्थ्य अमले को निर्देशित करते हुए कहा कि आश्रम-छात्रावासों में होने वाले हेल्थ चेकअप का रूटप्लान बनाएँ। ऐसे चेकअप जब भी हों, इसकी जानकारी प्रदान करें।

बच्चों के फोटोग्राफ तथा उनके हेल्थ चेकअप से संबंधित सारे जरूरी डिटेल्स इसमें उसी दिन भर दिए जाएँ। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों की हेल्थ शीट होने से उनका पूरा मेडिकल रिकार्ड सिस्टम के पास होगा, इससे किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आने पर मेडिकल हिस्ट्री भी आसानी से जानी जा सकेगी। बैठक के दौरान जिला पंचायत सीईओ डॉ. गौरव सिंह ने कहा कि तहसीलदार नियमित रूप से आश्रम शालाओं में निरीक्षण पर जाएँ। यह देखें कि भोजन मेनू के अनुसार बनाया जा रहा है या नहीं। कोई बच्चा बीमार तो नहीं है। आश्रम-छात्रावासों की अन्य समस्याओं के संबंध में भी अवगत कराएँ।

बीएमआई का अर्थ बॉडी मॉस इंडेक्स ने इन दिनों परंपरागत वेट की जगह ले ली है। इसमें ऊतकों के वजन को लिया जाता है जिसमें माँसपेशियाँ, चर्बी और हड्डियाँ शामिल होती हैं। इसके आधार पर वजन का तीन श्रेणियों में विभाजन होता है अंडर वेट, नार्मल वेट और ओवर वेट। बीएमआई शब्द का पहली बार उपयोग बेल्जियम के वैज्ञानिक अडोल्फ क्वेटलेट ने किया था। 1980 के बाद से विश्व स्वास्थ्य संगठन मोटापे के मापन के लिए बीएमआई का उपयोग कर रहा है।


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