खंडित होने के एक साल बाद भी मंदिर में नहीं हो सकी रावण मूर्ति की स्थापना
ग्रेटर नोएडा के बिसरख धाम रावण की मूर्ति को खंडित हुए एक साल से हो गए
नोएडा। ग्रेटर नोएडा के बिसरख धाम रावण की मूर्ति को खंडित हुए एक साल से हो गए। लेकिन अभी तक मंदिर में रावण की मूर्ति की स्थापना नहीं हो सकी है। मंदिर के महंत का दावा है कि आगामी दो से तीन महीने स्थापना का कार्यक्रम किया जाएगा। वहीं, ग्यारह अगस्त को भव्य जलाभिषेक व भंडारा किया जाएगा। जिसमें देश विदेश भक्तों के आने की संभावना है। बताते चले कि मंदिर में रावण की मूर्ति को लेकर दुधेंश्वर नाथ मंदिर के महंतों द्वारा विरोध किया जाता रहा है।
गौरतलब है कि गत वर्ष ग्याहर अगस्त को लंकापति रावण और श्रीराम के मूर्ति की स्थापना की जानी थी। लेकिन नौ अगस्त को अराजक तत्वों मंदिर परिसर में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की जिसमें प्राचीन रावण की बीच भुजा मूर्ति को भी खंडित कर दिया गया था।
यही नहीं महंतो ने विरोध दर्ज कराते हुए स्पष्ट कहा था कि यदि मंदिर में राम के साथ रावण की मूर्ति की स्थापना की जाती है तो यह गलत है। ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा। मंदिर के महंत अशोका नंद ने बताया कि एक साल से मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है। करीब आठ लाख रुपए से सात फिट की ऊंची मर्ति बनाई जा रही है।
इसका निर्माण दिसंबर 2016 में पूरा हो जाना था। लेकिन कारिगर के विदेश चले जाने के बाद निर्माण में रूकावट आई थी। दो से तीन माह मूर्ति का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद वहा भव्य स्थापना दिवस मनाया जाएगा। रावण धाम में ग्यारह अगस्त को भव्य जलाभिषेक किया जाएगा। इसके साथ भंडारे के आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में देश-विदेश के श्रद्धालू के आने की उम्मीद है। ऐसे में इंतजाम किए जा रहे है। वहीं, पुलिस विभाग से भी सुरक्षा की अपील की गई है।
रावण के पिता की है तपोस्थली
बिसरख ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है। यही रावण का जन्म भी हुआ था। उन्होंने बताया वेद पुराणों के अनुसार ऋषि विश्रवा उनकी तपोस्थली को शिव नगरी भी कहा जाता है।
बिसरख धाम में रावण द्बारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग विराजित है, जो की विश्व में ऐसा शिवलिग और दूसरा कही भी नहीं है। अशोकानंद महाराज ने बताया लंकापति रावण बाल्यकाल से ही शिव भक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली भी स्वयं रचना की।


