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भारत जैसे देशों को कचरा भेजने पर यूरोपीय संघ की सख्ती

यूरोपीय संघ के देशों से अन्य देशों को कचरा भेजने से जुड़े सख्त नियम पारित हो गए हैं. इसलिए अब इन 27 देशों को अपना कचरा अन्य देशों में भेजने को लेकर कई सावधानियां बरतनी होंगी

भारत जैसे देशों को कचरा भेजने पर यूरोपीय संघ की सख्ती
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यूरोपीय संघ के देशों से अन्य देशों को कचरा भेजने से जुड़े सख्त नियम पारित हो गए हैं. इसलिए अब इन 27 देशों को अपना कचरा अन्य देशों में भेजने को लेकर कई सावधानियां बरतनी होंगी.

मई 2027 से लागू हो रहे कानूनों के मुताबिक यूरोपीय संघ से बाहर के देशों को कचरा भेजने के लिए अब यूरोपीय संघ के देशों को बेहद सख्त नियमों का पालन करना होगा. यूरोपीय आयोग ने कहा कि नए नियमों का मकसद संघ के देशों को अपने कचरा प्रबंधन को लेकर ज्यादा जिम्मेदार बनाना है.

2004 से 2023 के बीच यूरोपीय देशों के कचरे के निर्यात में 72 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है. पिछले साल यह मात्रा 3.5 करोड़ टन थी.

नए नियमों के तहत ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (ओईसीडी) यानी विकासशील देशों के संगठन के बाहर के देशों में कचरा तभी निर्यात किया जा सकेगा, जब आयातक देश सहमत हो और इस बात के प्रमाण दे कि कचरे का निवारण प्रकृति के अनुकूल तरीकों से ही किया जाएगा.

अपराधों की सूची तैयार

नवंबर 2026 के बाद गैर-ओईसीडी देशों को प्लास्टिक का कचरा भेजने पर ढाई साल की पाबंदी रहेगी. ओईसीडी में 38 सदस्य देश हैं. इनमें से अधिकतर देश यूरोपीय संघ के ही हैं. इसके अलावा अमेरिका, तुर्की, मेक्सिको और ऑस्ट्रेलिया आदि देश भी हैं.

नए नियम लागू करने का एक मकसद कचरे के अवैध व्यापार पर नियंत्रण करना भी है. इसके लिए अवैध रूप से कचरा अन्य देशों को भेजने वाले लोगों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है.

यूरोपीय आयोग के मुताबिक सोमवार से वे नियम भी लागू हो गए हैं जिनके तहत पर्यावरण के खिलाफ जाने वाली गतिविधियों को अपराधों के दायरे में लाया गया है. इसके तहत सदस्य देशों को पर्यावरण के खिलाफ होने वाली गतिविधियों को अपराध मानना होगा और उनके लिए सजाएं तय करनी होंगी.

अतिगंभीर अपराधों की एक सूची बनाई गई है, जिनके लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को अपने कानून के तहत सजाएं तय करनी हैं. इनमें रसायनों या अवैध रूप से पानी बहाना जैसे अपराध शामिल हैं.

तुर्की के लिए समस्या

संघ की संस्था यूरोस्टैट के 2022 तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक यूरोपीय संघ के देशों ने सबसे ज्यादा 1.24 करोड़ टन कचरा तुर्की को भेजा था. यह कुल कचरे का 39 फीसदी था. उसके बाद भारत को 35 लाख टन कचरा निर्यात किया गया. युनाइटेड किंग्डम को दो 20 लाख टन कचरा निर्यात हुआ. चौथे नंबर पर स्विट्जरलैंड था जिसे कुल 16 लाख टन कचरा भेजा गया.

नॉर्वे (16 लाख टन), मिस्र (16 लाख टन), पाकिस्तान (12 लाख टन) और इंडोनेशिया (11 लाख टन) यूरोपीय संघ से कचरा आयात करने वाले अन्य प्रमुख देश हैं.

सोमवार से लागू हो रहे समझौते पर यूरोपीय संघ के देशों के बीच नवंबर में सहमति बनी थी. इन नियमों को लेकर अभी भी पूरी तरह सहमति नहीं है. आलोचकों का कहना है कि इससे ओईसीडी देशों को कचरे का निर्यात बढ़ सकता है. इसका सबसे ज्यादा खतरा तुर्की को हो सकता है, जो पहले ही सबसे ज्यादा कचरा आयात कर रहा है.


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