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अंतर्राज्यीय बेसिन प्राधिकरण की स्थापना हो : कटारिया

राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है

अंतर्राज्यीय बेसिन प्राधिकरण की स्थापना हो : कटारिया
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नई दिल्ली। राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि अंतर्राज्यीय बेसिन की वर्तमान व्यवस्था के साथ वाटरशेड एजेंसियों के समन्वित समूह के गठन के स्थान पर 'अंतर्राज्यीय बेसिन प्राधिकरण' की स्थापना कर उसे अंतर राज्यीय जल मुद्दों को प्रभावी ढंग से निपटने की शक्तियां दी जानी चाहिए। कटारिया शुक्रवार को यहां विज्ञान भवन में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की स्थायी समिति की 13वीं बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

उन्होंने कहा, "वाटरशेड एजेंसियों का एक पदानुक्रमित परंतु समन्वित समूह की स्थापना करने की सिफारिश से राजस्थान सहमत नहीं है, चूंकि अंतर्राज्यीय बेसिनों में पानी के प्रबंधन के लिए पहले से ही कई बोर्ड कार्यरत हैं। जैसे सिंधु जल के लिए भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड, यमुना जल के लिए अपर यमुना रिवर बोर्ड, नर्मदा जल के लिए नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और चम्बल जल के लिए एमपी-राजस्थान चम्बल इंटर स्टेट बोर्ड आदि।"

कटारिया ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित मामलों पर संविधान संशोधन के लिए राज्यों की सहमति पर चर्चा करते हुए सुझाव दिया कि "जिन राज्यों में कम वन है, उन्हें राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल करने के लिए वनों के विकास हेतु केंद्र से अधिक धनराशि दी जानी चाहिए। विशेष कर राजस्थान जैसे क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े प्रदेश में अरावली और थार रेगिस्तान की छतरी हुई पर्यावरण व्यवस्था को विशेष श्रेणी में माना जाना चाहिए और मौजूदा प्राकृतिक वन संसाधनों को संरक्षित करने व उपलब्ध विशाल क्षेत्र में अधिक वन क्षेत्र विकसित करने के लिए अधिक वितीय साधन उपलब्ध करवाने चाहिए।"

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रमुख खनिजों पर रॉयल्टी दरें प्रत्येक तीन साल में संशोधित की जानी चाहिए और यदि उनमें देरी होती है तो राज्यों को समुचित मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।

कटारिया ने यह सुझाव भी दिया कि "सड़कों, पुलों, राजमार्गो और एक्सप्रेस-वे के लिए एक 'स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण' की स्थापना की जानी चाहिए। सेज के लिए ऐसे प्राधिकरण की स्थापना की जरूरत नहीं है। साथ ही बिजली, कोयला और गैस की दरों के लिए अलग अलग नियामक ही रहने चाहिए।"

केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इनके लिए शत प्रतिशत सहायता केंद्र सरकार द्वारा ही उपलब्ध करवानी चाहिए।

गृहमंत्री कटारिया ने बताया कि अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की 13वीं बैठक में पंछी आयोग की सभी 372 सिफारिशों पर चर्चा पूरी हो गई, और जिन विषयों पर राज्यों की सहमति नहीं है, तदसम्बन्धित सुझावो पर अंतर्राज्यीय परिषद द्वारा विचार कर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि "कई ऐसे विषय हैं, जिन्हें समवर्ती या केंद्र की सूची में रखने की बजाय राज्य की सूची में रखा जाना चाहिए। पर्यावरण का विषय अभी केंद्र की सूची के अधीन है। इसे राज्य सूची अथवा समवर्ती सूची में लाने की जरूरत है, चूंकि पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण प्रदेशों की कई परियोजनाएं अटक जाती हैं। अगर पर्यावरण का विषय राज्य सूची में होगा तो विकास के कार्यो को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकेगा।"


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