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पर्यावरण दिवस : बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, बैंकों का कर्ज बना सदमा

इस बार ऐसा ही कुछ जल, जंगल और जमीन की विरासत संभाले झारखंड के किसानों खासकर सब्जी उत्पादकों के साथ हुआ।

पर्यावरण दिवस : बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर, बैंकों का कर्ज बना सदमा
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चतरा। धरती को सीने से लगाकर रखने वाले किसानों को कभी आसमान तो कभी जहान धोखा दे जाता है और इस बार तो भगवान भी उनसे रूठा है तभी तो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने फसल को बर्बाद कर दिया और जो बच गया उसे बेचने के लिए लॉक डाउन के कारण बाजार नहीं मिल सका, नतीजा यह हुआ कि बैंकों का कर्ज चुकाने की अनिवार्यता उन्हें सदमा दे रही है।

इस बार ऐसा ही कुछ जल, जंगल और जमीन की विरासत संभाले झारखंड के किसानों खासकर सब्जी उत्पादकों के साथ हुआ। सब्जियों की खेती करने वाले चतरा जिले के किसानों की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, कोरोना महामारी और उसके कारण लागू लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी है। अब यह पर्यावरण के साथ खिलवाड़ का परिणाम है या विकास की अंधी दौड़ में कृषि को हाशिये पर धकेलने का नतीजा, जो भी है किसानों के लिए सदमे की तरह है।

चतरा के किसान बताते हैं कि मौजूदा हालात में उन्हें सब्जियों सही से दाम नहीं मिल पा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से जिले से बाहर मंडियों में सब्जियों को भेजने में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं, जिसके कारण सब्जियों को औने पौने दाम पर स्थानीय बाजार में बेचना पड़ रहा है। किसान बताते हैं कि जिस फसल वह बाहर की मंडियों में 50 से 60 रुपए प्रति किलो के भाव से बेचते हैं उसकी कीमत स्थानीय बाजार में महज 10 से 20 रुपए प्रति किलो ही मिल पा रही है, इसके बावजूद सारी सब्जियां नहीं बिक रही।

किसानों ने बताया कि वे बड़े पैमाने पर सब्जी का उत्पादन करते हैं। इस वक्त वे खेतों में टमाटर, प्याज, खीरा, कद्दू, शिमला मिर्च, बैगन के अलावा और कई तरह की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने मटर की खेती की थी जिसमें भरपूर फायदा हुआ था। बाजार में अच्छी कीमत मिलने से अच्छा मुनाफा भी हुआ था। लेकिन, अभी लॉकडॉउन की वजह से सब्जी मंडियों के बंद हो जाने के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए काफी मुश्किल हो रही है।

सब्जी उत्पादन से स्थानीय श्रमिकों को रोजगार भी मिलता था लेकिन अभी सब कुछ थम गया है। सब्जी उत्पादन के लिए जो पूंजी उन्होंने लगाई हैं उस पूंजी को भी नहीं निकाल पा रहे हैं। सब्जियों में कीड़े लग रहे हैं। ऐसे में किसान जिला प्रशासन और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग करते हैं कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए ताकि अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।

वहीं, किसानों की मौजूदा समस्या को लेकर जब स्थानीय विधायक किशुनदास से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि और बारिश के कारण सब्जी उत्पादकों को काफी नुकसान हुआ है। इसका सर्वे कराकर इसकी रिपोर्ट कृषि मंत्री को दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रयास होगा कि किसानों को उचित मुआवजा दिला सकें।


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