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'मुलाकात के अधिकार के दौरान माहौल भी मायने रखता है': सुप्रीम कोर्ट ने पिता को मॉल में बच्चे से मिलने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस माहौल के दौरान मुलाक़ात के अधिकारों का प्रयोग किया जाता है

मुलाकात के अधिकार के दौरान माहौल भी मायने रखता है: सुप्रीम कोर्ट ने पिता को मॉल में बच्चे से मिलने की अनुमति दी
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस माहौल के दौरान मुलाक़ात के अधिकारों का प्रयोग किया जाता है, वह भी मायने रखता है, और माता-पिता को अदालत परिसर में ऐसा अधिकार देना बच्चे के हित में नहीं हो सकता।

जस्टिस ए.एस. बोप्पना और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए मुलाक़ात के अधिकार को संशोधित किया और आदेश दिया कि बच्चे की अंतरिम हिरासत हर रविवार को तीन घंटे के लिए मॉल के प्रवेश द्वार पर मां द्वारा पिता को दी जाएगी।

अपने आदेश में, एक पारिवारिक अदालत ने बच्चे के पिता को रविवार सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच न्यायालय परिसर में मुलाकात का अधिकार दिया था।

केरल हाई कोर्ट द्वारा मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के बाद पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

गुरुवार को शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत परिसर में बार-बार मुलाक़ात का अधिकार भी बच्चे के हित में नहीं होगा क्योंकि जिस माहौल के दौरान मुलाक़ात के अधिकार का प्रयोग किया जाता है, वह भी मायने रखता है। इसलिए, इसने आदेश दिया कि केरल के कोल्‍लम में आरपी मॉल के प्रवेश द्वार पर रविवार को सुबह 11 बजे मां बच्चे की अंतरिम हिरासत पिता को सौंपेगी।

अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता पिता बच्चे को उक्त मॉल में ले जा सकता है और उसी दिन दोपहर बाद दो बजे तक मुलाकात के अधिकार का प्रयोग कर सकता है।” बच्चे का पिता दोपहर बाद दो बजे उसी स्‍थान (मॉल के प्रवेश द्वार) पर उसकी कस्टडी प्रतिवादी मां को सौंप देगा।''


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