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80 दशक से अब तक फिल्म इंडस्ट्री में क्या-क्या आए बदलाव? माधुरी दीक्षित ने खुलकर की बात

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित चार दशकों से भी ज्यादा समय से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं

80 दशक से अब तक फिल्म इंडस्ट्री में क्या-क्या आए बदलाव? माधुरी दीक्षित ने खुलकर की बात
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मुंबई। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री माधुरी दीक्षित चार दशकों से भी ज्यादा समय से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। उन्होंने न सिर्फ कई सुपरहिट फिल्में दीं, बल्कि बदलते दौर के साथ खुद को भी लगातार ढालती रहीं। इस बीच, आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने करियर के सफर, फिल्ममेकिंग में आए बदलाव और आज के समय में फिल्मों के चयन को लेकर बात की।

उन्होंने इंडस्ट्री में अपने शुरुआती दिनों से लेकर अब तक के अनुभव साझा किए।

माधुरी दीक्षित ने अपने करियर की शुरुआत साल 1984 में आई फिल्म 'अबोध' से की थी। उस दौर को याद करते हुए उन्होंने आईएएनएस से कहा, ''तब फिल्म इंडस्ट्री आज जैसी व्यवस्थित नहीं थी। 80 और 90 के दशक में सिर्फ कुछ ही प्रोड्यूसर ऐसे थे, जो काम को बहुत प्रोफेशनल तरीके से करते थे। इनमें यश चोपड़ा, बी. आर. चोपड़ा, सुभाष घई और राजश्री प्रोडक्शन्स जैसे नाम शामिल थे। ज्यादातर फिल्में बिना ज्यादा प्लानिंग और सुविधाओं के बनती थीं। आज की तुलना में उस समय सब कुछ काफी अव्यवस्थित हुआ करता था।''

माधुरी ने कहा, ''पहले फिल्मों में काम करते समय कलाकारों को बहुत ज्यादा तैयारी का मौका नहीं मिलता था। शूटिंग अक्सर अचानक शुरू हो जाती थी और कलाकारों को मौके पर ही सीन समझकर शूट करना पड़ता था। आज के समय में स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। अब कलाकारों को पहले से पूरी स्क्रिप्ट मिल जाती है, किरदार पर विस्तार से काम करने का समय मिलता है और शूटिंग से पहले अच्छी तैयारी की जाती है। इससे कलाकार अपने रोल को बेहतर तरीके से निभा पाते हैं।''

उन्होंने कहा, ''पहले शूटिंग के दौरान कलाकारों की सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। न वैनिटी वैन होती थी और न ही आराम करने की कोई खास जगह। कलाकारों को तेज धूप में छाता लगाकर बैठना पड़ता था। इसके मुकाबले आज फिल्म सेट पर हर सुविधा उपलब्ध होती है। कलाकारों के लिए आरामदायक वैनिटी वैन होती हैं, जहां वे शॉट्स के बीच आराम कर सकते हैं या तैयार हो सकते हैं। इससे काम का माहौल भी बेहतर हो जाता है।''

माधुरी ने कहा, "आज फिल्मों में किरदारों पर बहुत ज्यादा मेहनत की जाती है। अब यह पहले से तय होता है कि कलाकार क्या पहनेंगे, उनका लुक कैसा होगा, और वे किस तरह से स्क्रीन पर नजर आएंगे। शूटिंग से पहले रीडिंग सेशन और रिहर्सल भी होती है, जो पहले के समय में नहीं हुआ करती थी। इन सब बदलावों से फिल्ममेकिंग का स्तर काफी ऊपर चला गया है।"


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