'टीवी शो फैक्ट्री की तरह बन गए हैं', मनोज पाहवा ने छोटे पर्दे के कंटेंट को लेकर साझा किए विचार
1990 और 2000 के दशक के टीवी शो आज भी दर्शकों की यादों में ताजा हैं। 'ऑफिस ऑफिस', 'जस्ट मोहब्बत' और 'बोल बेबी बोल' जैसे कार्यक्रमों ने न सिर्फ मनोरंजन किया

नई दिल्ली। 1990 और 2000 के दशक के टीवी शो आज भी दर्शकों की यादों में ताजा हैं। 'ऑफिस ऑफिस', 'जस्ट मोहब्बत' और 'बोल बेबी बोल' जैसे कार्यक्रमों ने न सिर्फ मनोरंजन किया, बल्कि समाज और मनोविज्ञान पर भी गहरी छाप छोड़ी। इस दौर के शो आज भी किसी हिट फिल्म की तरह याद किए जाते हैं।
इस बात पर मनोज पाहवा ने आईएएनएस से बात करते हुए अपनी राय साझा की और बताया कि क्यों आज के टीवी शो उसी तरह की छाप नहीं छोड़ पाते। वहीं, कंटेंट क्रिएटर और एक्ट्रेस प्राजक्ता कोली ने भी नई वेब सीरीज 'सिंगल पापा' के अनुभव के बारे में बातचीत की और बताया कि फिल्म और टीवी सेट पर काम करना उनके लिए कितना नया और रोमांचक रहा।
आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में मनोज पाहवा ने कहा, ''1990 के दशक में टीवी के काम करने का तरीका बहुत अलग और खास था। उस समय के शो रचनात्मक रूप से बहुत मजबूत होते थे, क्योंकि उन्हें बनाने में समय, सोच और रचनात्मक स्वतंत्रता दी जाती थी।''
उन्होंने कहा, ''हम महीने में सिर्फ चार एपिसोड बनाते थे। एक एपिसोड को बनाने में दो या ढाई दिन लगते थे। पूरे महीने का समय सेट पर एक ब्लॉक की तरह रिजर्व होता था। इससे लेखक और अभिनेता दोनों को पर्याप्त समय मिलता था कि वे कहानी और किरदारों पर काम कर सकें। विषय धीरे-धीरे बनते थे और शो की कहानी में गहराई आती थी।''
उन्होंने बताया कि इस धीमी गति का सबसे बड़ा फायदा यह था कि सभी को काम करने का पूरा समय मिलता था। लेखक नए एपिसोड पर सोच सकते थे, अभिनेता अपने किरदार को समझ सकते थे और दर्शकों को भी हर एपिसोड का आनंद लेने का समय मिलता था।
मनोज ने पुराने लेखक और निर्माता टीम की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, '''जस्ट मोहब्बत' बच्चों और माता-पिता के रिश्तों और मनोविज्ञान पर आधारित था। 'ऑफिस-ऑफिस' भी समाज और रोजमर्रा की जिंदगी के हास्य पर आधारित था। उस समय साहित्य और गहरी कहानियों को टीवी पर लाया जाता था। मुंशी प्रेमचंद और गालिब पर भी आधारित शो बनते थे। अब टीवी शो फैक्ट्री की तरह बन गए हैं, इसलिए वे दर्शकों पर लंबे समय तक असर नहीं छोड़ पाते।''
वहीं, प्राजक्ता कोली ने आईएएनएस को बताया कि पहली बार डायरेक्टर के निर्देशन में काम करना उनके लिए कितना अलग और रोमांचक अनुभव था। उन्होंने कहा, ''शुरुआत में मुझे चिंता हो रही थी कि मैं अपने किरदार को कैसे निभाऊंगी। मैं सोच रही थी कि मैं कैसे जान पाऊंगी कि इस लाइन का मकसद क्या है या इससे पहले क्या हुआ। लेकिन यह डर केवल दो दिन में ही गायब हो गया। सेट पर काम करने वाले कलाकारों के साथ अनुभव बहुत ही राहत देने वाला रहा।''
उन्होंने कहा, ''धीरे-धीरे मैं शूटिंग को एन्जॉय करने लगीं। मैं सेट पर आराम से काम करती थी, साथी कलाकारों के साथ चाय पीने और गपशप करने का समय भी मिलता था। मुझे सच में 'सिंगल पापा' के सेट पर बहुत मजा आया।'
दोनों कलाकार नई वेब सीरीज 'सिंगल पापा' में नजर आएंगे। इस सीरीज में मनोज पाहवा, कुणाल खेमू, प्राजक्ता कोली, नेहा धूपिया और आयशा रजा मिश्रा मुख्य भूमिका में हैं।
'सिंगल पापा' 12 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली है।


