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'ऑपरेशन सिंदूर' पर बॉलीवुड में फिल्म बनाने की होड़

बॉलीवुड पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष से भड़की राष्ट्रवादी भावनाओं का लाभ उठाकर अपनी जेबें भरने की कोशिश में है

ऑपरेशन सिंदूर पर बॉलीवुड में फिल्म बनाने की होड़
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भारतीय फिल्म निर्माता पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष से भड़की राष्ट्रवादी भावनाओं का फायदा उठाकर अपनी जेबें भरने की कोशिश कर रहे हैं.

परमाणु हथियारों से लैस प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान के बीच इसी साल मई में चार दिनों के लिए सैन्य संघर्ष हुआ था. इन हमलों के लिए दोनों ओर से तोप, ड्रोन हमले और हवाई हमले किए गए. 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के भीतर कथित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमले किए.

भारत सरकार ने भारतीय कश्मीर में पर्यटकों पर हुए हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया, पाकिस्तान ने आरोपों से इनकार किया और निष्पक्ष जांच की मांग की. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा अचानक संघर्ष विराम की घोषणा के बाद यह लड़ाई समाप्त हो गई. हालांकि, भारत का कहना है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने संघर्ष विराम के लिए भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया था.

देशभक्ति पर आधारित फिल्में होती हैं हिट

अब कुछ बॉलीवुड फिल्म निर्माता इस संघर्ष को एक आकर्षक अवसर के रूप में देख रहे हैं. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने सैन्य अभियान का नाम "ऑपरेशन सिंदूर" रखा था. सिंदूर को विवाहित हिंदू महिलाएं अपनी मांग में लगाती हैं और इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस नाम को उन महिलाओं के विधवा होने का बदला लेने के भारत के दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में देखा गया, जिनके पति 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में मारे गए थे, जिसके कारण झड़पें शुरू हुईं.

फिल्म निर्माण कंपनियों ने इस ऑपरेशन से प्रेरित कई फिल्मों के टाइटल रजिस्टर्ड कराए हैं, जिनमें "मिशन सिंदूर", "सिंदूर: द रिवेंज", "द पहलगाम टेरर" और "सिंदूर ऑपरेशन" शामिल हैं. फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री समाचार एजेंसी एएफपी से कहते हैं, "यह एक ऐसी कहानी है जिसे बताया जाना चाहिए. अगर यह हॉलीवुड होता, तो वे इस विषय पर दस फिल्में बनाते. लोग जानना चाहते हैं कि पर्दे के पीछे क्या हुआ."

अग्निहोत्री ने 2022 में रिलीज हुई अपनी फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" से बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल की, जो 1990 के दशक में कश्मीर से हिंदुओं के बड़े पैमाने पर पलायन पर आधारित है.

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बदल रहा है बॉलीवुड का नजरिया

सत्तारूढ़ बीजेपी ने अग्निहोत्री के रुख का पुरजोर समर्थन किया है, भले ही उस पर भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाया गया है. आलोचकों का कहना है कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बॉलीवुड पर सरकार की विचारधारा को बढ़ावा देने का दबाव बढ़ गया है. फिल्म समीक्षक और फिल्म की कहानी लिखने वाले राजा सेन का कहना है कि फिल्म निर्माता सरकार के अनुकूल माहौल में सुरक्षित महसूस करते हैं.

पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष पर टिप्पणी करते हुए राजा सेन ने कहा, "हमने युद्ध शुरू करने की कोशिश की और जब ट्रंप ने हमें रोका, तो हम चुप हो गए. तो फिर यहां बहादुरी कहां है?"

भावनात्मक फिल्में बनाने के लिए मशहूर निर्देशक अनिल शर्मा ने पहलगाम हमले पर फिल्में बनाने की हड़बड़ी की आलोचना करते हुए कहा, "यह भीड़ को लुभाने वाली फिल्म है... ये मौसमी फिल्म निर्माता हैं, उनकी अपनी मजबूरियां हैं." उन्होंने आगे कहा, "मैं किसी घटना पर फिल्म बनाने के लिए उसके होने का इंतजार नहीं करता. कोई भी विषय स्वाभाविक रूप से भावनाओं को जगाता है, फिर सिनेमा अस्तित्व में आता है."

अनिल शर्मा की एक्शन फिल्म 'गदर: एक प्रेम कथा' (2001) और इसका सीक्वल 'गदर 2' (2023), दोनों बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही हैं. दोनों में एक्शन हीरो सनी देओल ने मुख्य किरदार निभाया.

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एक्शन और देशभक्ति का मेल

बॉलीवुड में फिल्म निर्माता अक्सर अपनी फिल्में स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय दिवसों के आसपास रिलीज करने की कोशिश करते हैं, जब जनता में देशभक्ति का जोश चरम पर होता है. ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण की फिल्म फाइटर पिछले साल 2024 में गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को रिलीज हुई थी.

यह फिल्म भारत द्वारा 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट पर किए गए हवाई हमलों से प्रेरित थी. फिल्म को मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, फिल्म "फाइटर" ने दुनियाभर में 350 करोड़ से ज्यादा की कमाई की.

उसी साल, मराठा शासक संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित फिल्म छावा, साल की सबसे बड़ी हिट रही. हालांकि, इस पर मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रह भड़काने का भी आरोप लगाया गया.

सेन कहते हैं, "यह ऐसे समय में हो रहा है जब सिनेमा में मुस्लिम राजाओं और नेताओं को अतिवादी और हिंसक रूप में फिल्माया जा रहा है." उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता "सत्ता-विरोधी" विषयों से बचते हैं. सेन कहते हैं, "अगर जनता को ऐसी दर्जनों फिल्मों के माध्यम से बार-बार एक ही विचारधारा दिखाई जाए और दूसरे पक्ष को अपनी बात रखने की इजाजत ना दी जाए, तो यह दुष्प्रचार और गलत सूचना जनमानस में घर कर जाती है."

मशहूर निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा कहते हैं कि सच्ची देशभक्ति सिनेमा के माध्यम से शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना है. मेहरा की सामाजिक-राजनीतिक फिल्म 'रंग दे बसंती' ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता और भारत द्वारा 'गोल्डन ग्लोब' और 'ऑस्कर पुरस्कार' के लिए भी नामांकित हुई थी. वे कहते हैं, "हम शांति कैसे हासिल करें और एक बेहतर समाज का निर्माण कैसे करें? हम अपने पड़ोसियों से प्रेम करना कैसे सीखें? मेरे लिए, यही देशभक्ति है."



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