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'द किड' से लेकर 'सिटी लाइट्स' तक, बाल दिवस पर स्ट्रीम होगी चार्ली चैपलिन की क्लासिक फिल्में

भारत में हर साल 14 नवंबर का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता, लेकिन इस साल यह दिन और भी खास होने वाला है, क्योंकि लायंसगेट प्ले पर चार्ली चैपलिन की खास फिल्मों के कलेक्शन को स्ट्रीम किया जाएगा

द किड से लेकर सिटी लाइट्स तक, बाल दिवस पर स्ट्रीम होगी चार्ली चैपलिन की क्लासिक फिल्में
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मुंबई। भारत में हर साल 14 नवंबर का दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता, लेकिन इस साल यह दिन और भी खास होने वाला है, क्योंकि लायंसगेट प्ले पर चार्ली चैपलिन की खास फिल्मों के कलेक्शन को स्ट्रीम किया जाएगा।

चैपलिन, जिन्हें 'साइलेंट फिल्म का जादूगर' कहा जाता है, ने अपने समय में केवल मनोरंजन ही नहीं दिया, बल्कि अपने अभिनय और कहानी कहने के अंदाज से लोगों के दिलों को छू लिया। उनकी फिल्में आज भी उतनी ही असरदार हैं, जितनी कि वे पहली बार पर्दे पर दिखी थीं।

बाल दिवस के अवसर पर, लायंसगेट प्ले पर चार्ली की 17 क्लासिक फिल्मों को डिजिटली उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें 'मॉडर्न टाइम्स', 'द किड', 'सिटी लाइट्स', 'द गोल्ड रश', 'द ग्रेट डिक्टेटर', 'द सर्कस', 'लाइमलाइट', 'ए किंग इन न्यूयॉर्क' और 'द आइडल क्लास' जैसी फिल्में शामिल हैं।

फिल्मों का ये कलेक्शन 14 नवंबर को स्ट्रीम किया जाएगा और इसे देखकर दर्शक चैपलिन की कला के जादू का अनुभव घर बैठे कर सकेंगे।

चार्ली चैपलिन सिर्फ अभिनेता नहीं थे, बल्कि निर्देशक और संगीतकार भी थे। उन्होंने अपनी फिल्मों में न केवल अभिनय किया, बल्कि उन्हें लिखा, निर्देशित और संपादित भी किया। इसके अलावा, वह खुद संगीत तैयार करने का काम भी करते थे। उनकी फिल्में आज भी लोगों को प्रभावित करती हैं और नई पीढ़ी को उनकी कला और इंसानियत की गहराई का अनुभव कराती हैं। उनकी फिल्मों में जो भावनाओं की ताकत है, वह शब्दों से परे है।

चार्ली चैपलिन का जन्म इंग्लैंड में हुआ था, और वे सबसे ज्यादा अपने किरदार 'द ट्रैम्प' के लिए जाने जाते हैं। यह किरदार भोले-भाले इंसान की तरह है, जो दुनिया की कठिनाइयों और खुशियों के बीच अपने रास्ते पर चलता है। चैपलिन ने साइलेंट फिल्म युग में जबरदस्त सफलता पाई।

1919 में उन्होंने यूनाइटेड आर्टिस्ट्स की स्थापना की, जिससे उन्हें अपनी फिल्मों पर पूरा नियंत्रण मिला। उन्होंने अपनी ज्यादातर फिल्मों में लेखक, निर्देशक, निर्माता, संपादक और संगीतकार की भूमिकाएं निभाई। उनकी राजनीतिक सोच के कारण 1952 में उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ा, लेकिन उनकी कला और योगदान को देखकर उन्हें 1972 में सम्मान स्वरूप ऑस्कर पुरस्कार भी मिला।


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