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जयपुर के छोटे कमरे से लेकर बॉलीवुड तक: शारिब साबरी ने इस तरह अपने सपनों को बनाया हकीकत

भारत में संगीत के क्षेत्र में कई ऐसे कलाकार होते हैं, जिनकी कहानी सिर्फ उनके गीतों की तरह ही दिल को छू जाती है

जयपुर के छोटे कमरे से लेकर बॉलीवुड तक: शारिब साबरी ने इस तरह अपने सपनों को बनाया हकीकत
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मुंबई। भारत में संगीत के क्षेत्र में कई ऐसे कलाकार होते हैं, जिनकी कहानी सिर्फ उनके गीतों की तरह ही दिल को छू जाती है। शारिब साबरी भी उन्हीं में से एक हैं। दिल्ली में जन्मे शारिब प्रतिभाशाली गायक हैं। उन्होंने बचपन से ही संगीत में अपनी रुचि दिखाई और जयपुर के एक छोटे से कमरे से अपनी गायिकी की शुरुआत की। यह कमरा किसी बड़े स्टूडियो जैसा नहीं था, बल्कि एक साधारण किराए का कमरा था।

यही कमरा उनके संगीत के सपनों का पहला पड़ाव बन गया। आज शारिब साबरी बॉलीवुड के लोकप्रिय गायक और संगीतकारों में गिने जाते हैं, लेकिन उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

शारिब साबरी का जन्म 29 दिसंबर 1988 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार संगीत से जुड़ा हुआ था। उनके पिता एक शास्त्रीय संगीतकार थे और बड़े भाई तोशी साबरी भी एक जाने-माने गायक हैं। शारिब का बचपन संगीत की मधुर धुनों के बीच बीता। उन्होंने छोटी उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था और परिवार के सहयोग से हुनर को निखारा। बाद में उनका परिवार जयपुर के मोती नगर में बस गया। यहां उन्होंने एक किराए के कमरे में रहकर अभ्यास शुरू किया। वह घंटों बैठकर गाने की ट्रेनिंग लेते और अपने स्वर को निखारते।

संगीत के प्रति उनकी लगन इतनी गहरी थी कि उन्होंने ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। उन्होंने तय किया कि अब उनका पूरा जीवन संगीत को समर्पित होगा। इस समय में उन्होंने बड़े उत्साह और मेहनत से गायिकी का अभ्यास किया और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और वह 'सा रे गा मा पा चैलेंज' 2005 के फाइनलिस्ट बन गए। इस प्रतियोगिता में उन्हें जनता के वोटों से दसवां स्थान मिला। यह उनके लिए एक बड़ा प्रोत्साहन था। इसके बाद वह 'सा रे गा मा पा– एक मैं और एक तू' में भी रनर-अप बने, जिससे उनके करियर को और मजबूती मिली।

शारिब साबरी ने अपने भाई तोशी के साथ मिलकर कई फिल्मों में संगीत दिया और गाने गाए। उन्हें पहला ब्रेक फिल्म 'राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूज' से मिला। इस फिल्म में उन्होंने 'माही' (रॉक विद मी) के रॉक वर्जन में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इस गाने की रिकॉर्डिंग भी जयपुर के छोटे कमरे से शुरू हुई मेहनत का ही परिणाम थी। उनके भाई के साथ सहयोग ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई और दोनों भाईयों की जोड़ी संगीत के क्षेत्र में खास मानी जाने लगी।

इसके अलावा, शारिब ने फिल्म 'समर ऑफ 2007' में भी गाना गाया और कई टीवी शो जैसे 'जुनून- कुछ कर दिखाएंगे' और 'म्यूजिक का महामुकाबला' में अपनी प्रतिभा दिखाई।

शारिब साबरी ने अपने करियर में कई हिट गाने दिए। उनकी आवाज में रॉक से लेकर रोमांटिक गीत और पारंपरिक ठुमरी तक की विविधता है। उन्होंने 'जेल', 'वीर', 'प्यार का पंचनामा 2', '1920: लंदन', और 'हाउसफुल 3' जैसी फिल्मों में गाने गाए हैं। उनके सिंगल्स 'सांसों की माला' और 'दिला ठहर जा' भी काफी लोकप्रिय हुए।


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