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‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’ रिव्यू: सराहनीय अभिनय के साथ एक डरावनी पैरानॉर्मल कहानी

कलाकार: करण टैकर, कल्कि कोचलिन, सलोनी बत्रा, डेनिश सूद, शुभम चौधरी, निमिषा नायर; निर्देशक: रॉबी ग्रेवाल; जॉनर: हॉरर, मिस्ट्री थ्रिलर, सच्ची घटनाओं से प्रेरित; प्रोडक्शन हाउस: ऑलमाइटी मोशन पिक्चर (प्रभलीन संधू); प्लेटफॉर्म: अमेज़न एमएक्स प्लेयर; रिलीज़ डेट: 12 दिसंबर; रेटिंग: 4 स्टार

‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’ रिव्यू: सराहनीय अभिनय के साथ एक डरावनी पैरानॉर्मल कहानी
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मुंबई। कलाकार: करण टैकर, कल्कि कोचलिन, सलोनी बत्रा, डेनिश सूद, शुभम चौधरी, निमिषा नायर; निर्देशक: रॉबी ग्रेवाल; जॉनर: हॉरर, मिस्ट्री थ्रिलर, सच्ची घटनाओं से प्रेरित; प्रोडक्शन हाउस: ऑलमाइटी मोशन पिक्चर (प्रभलीन संधू); प्लेटफॉर्म: अमेज़न एमएक्स प्लेयर; रिलीज़ डेट: 12 दिसंबर; रेटिंग: 4 स्टार

‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’ एक प्रभावशाली और माहौल बनाने वाली सीरीज़ है, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध और अग्रणी पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर गौरव तिवारी की रहस्यमयी दुनिया को सफलतापूर्वक पर्दे पर जीवंत करती है। हॉरर, मिस्ट्री और भावनात्मक गहराई के संतुलन के साथ यह शो अपनी सच्ची घटनाओं से प्रेरित विषयवस्तु के प्रति सम्मानजनक और ज़मीन से जुड़ा हुआ दृष्टिकोण अपनाता है, जो इसे खास बनाता है।

इस सीरीज़ को जिस तत्व ने सबसे अधिक ऊंचाई दी है, वह है मुख्य अभिनेता करण टैकर का शानदार अभिनय। उन्होंने गौरव तिवारी के किरदार को बेहद बारीकी और मजबूती के साथ निभाया है, जिसमें उनका शांत आत्मविश्वास, बौद्धिक जिज्ञासा और आंतरिक संवेदनशीलता साफ झलकती है। खासकर जांच से जुड़े तनावपूर्ण दृश्यों में उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस सीरीज को मजबूती देती है, जहां संवादों से ज़्यादा उनके सूक्ष्म भाव, नियंत्रित बॉडी लैंग्वेज और शांत तीव्रता असर छोड़ती है। ओवर-ड्रामेटाइज़ेशन से बचते हुए संयमित और विश्वसनीय प्रस्तुति के लिए करण टैकर विशेष सराहना के पात्र हैं, जो उनके किरदार को बेहद मानवीय और जुड़ाव योग्य बनाती है। अकेलेपन और मानसिक दबाव को दर्शाने वाले उनके भावनात्मक दृश्य लंबे समय तक याद रहते हैं। करण टैकर के साथ-साथ कल्कि कोचलिन, सलोनी बत्रा, डेनिश सूद, शुभम चौधरी और निमिषा नायर ने भी बेहतरीन अभिनय किया है।

कहानी कहने का तरीका भी इस सीरीज़ की बड़ी ताकत है। अचानक डराने वाले सीन (जंप स्केयर) पर निर्भर रहने के बजाय, ‘भय’ माहौल, सन्नाटे और मनोवैज्ञानिक तनाव के ज़रिए धीरे-धीरे डर पैदा करता है। पैरानॉर्मल केस असली जांचों से प्रेरित लगते हैं, जिससे कहानी में प्रामाणिकता आती है और दर्शक अंत तक जुड़े रहते हैं। यहां तक कि अलौकिक घटनाओं पर संदेह करने वाले दर्शक भी रहस्यों के तार्किक और व्यवस्थित खुलासे को सराहेंगे।

रॉबी ग्रेवाल का निर्देशन काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने इस संवेदनशील विषय को व्यावसायिक कहानी कहने के तत्वों के साथ बेहद संतुलित तरीके से पेश किया है, जो विशेष उल्लेख के योग्य है।

इस तरह की उल्लेखनीय कहानी को अपनाने और दर्शकों तक पहुंचाने के लिए प्लेटफॉर्म की भी सराहना की जानी चाहिए।

तकनीकी तौर पर भी सीरीज़ मजबूत है। बैकग्राउंड स्कोर डरावने माहौल को और गहरा करता है, लेकिन कभी हावी नहीं होता। सिनेमैटोग्राफी में परछाइयों, कम रोशनी और सीमित स्थानों का प्रभावी इस्तेमाल किया गया है, जो भय की भावना को और बढ़ाता है। सहायक कलाकार भी अपने-अपने किरदारों में खौफ, संशय और भावनात्मक टकराव को प्रभावी ढंग से दर्शाते हैं।

कुल मिलाकर, ‘भय: द गौरव तिवारी मिस्ट्री’ एक अच्छी तरह से बनाई गई, संवेदनशील और रोंगटे खड़े कर देने वाली सीरीज़ है, जिसकी नींव एक शानदार मुख्य अभिनय पर टिकी है। यह भावनात्मक गहराई के साथ हॉरर पेश करती है और मिस्ट्री व सुपरनैचुरल थ्रिलर पसंद करने वालों के लिए निश्चित रूप से देखने लायक है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में इस तरह के हॉरर ट्रीटमेंट को पहले कभी इस अंदाज़ में नहीं तलाशा गया।


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