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Ahan Pandey: जानें फिल्मी दुनिया से जुड़ी अहान पांडे की यादें, परिवार के साथ फिल्म देखने का अनमोल अनुभव

अहान बताते हैं कि, “मैं फिल्म परिवार में पला-बढ़ा हूं। फिल्में हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।” उनका कहना है कि फिल्मों ने उन्हें न केवल मनोरंजन दिया बल्कि परिवार के साथ बिताए खास पलों का भी हिस्सा हैं।

Ahan Pandey: जानें फिल्मी दुनिया से जुड़ी अहान पांडे की यादें, परिवार के साथ फिल्म देखने का अनमोल अनुभव
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मुंबई। Ahan Pandey: सैयारा फिल्म से अभिनय में कदम रखने वाले अहान पांडे जो फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनके जीवन में फिल्मों का खास स्थान है। उनके चाचा, चंकी पांडे, एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, लेकिन अहान को फिल्मों के प्रति प्रेम का ज्‍यादा कारण उनकी दादी हैं। अहान का कहना है कि उनका फिल्मी सफर उनके परिवार की परंपराओं और अनुभवों से गहरा जुड़ा हुआ है। उनकी पहली फिल्म, सैयारा, इस साल बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल करने वाली फिल्म रही है, और अब उसका वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर 20 दिसंबर को सोनी मैक्स पर होने जा रहा है। इस खबर ने उन्हें अपने परिवार के साथ बैठकर फिल्में देखने की पुरानी यादें ताजा कर दी हैं।

प्यार का असली शुरुआत दादी से हुई

अहान बताते हैं कि, “मैं फिल्म परिवार में पला-बढ़ा हूं। फिल्में हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।” उनका कहना है कि फिल्मों ने उन्हें न केवल मनोरंजन दिया बल्कि परिवार के साथ बिताए खास पलों का भी हिस्सा हैं। उनके अनुसार, उनकी फिल्मों के प्रति प्यार का असली शुरुआत उनकी दादी से हुई। हर रविवार को उनके परिवार के साथ नई फिल्म देखने का चलन था, जो एक अनोखी परंपरा बन गई थी। वे कहते हैं कि, “हम उनके साथ हर रविवार नई फिल्म देखते थे। यह नियम बन गया था, जिसे हमने कभी नहीं तोड़ा।”

सबके बीच स्नैक्स को लेकर होती थी घंटों चर्चा

उनकी दादी का यह शौक पूरे परिवार को भी फिल्में देखने का संस्कार देता था। घर का लिविंग रूम साफ-सुथरा कर, मूवी नाइट के लिए तैयार किया जाता था। फिल्म देखने के दौरानसबके बीच स्नैक्स को लेकर घंटों चर्चा होती थी, यह तय करना कि कौन सा स्नैक्स खाएंगे। घर में हर किसी की अपनी सीट तय होती थी, और उस सीट पर बैठने को लेकर भी छोटी-मोटी नोकझोंक होती थी। यह सभी छोटे-छोटे पल उस समय की खास यादें बन गए हैं, जो आज भी उनके दिल में तरोताजा हैं।

परिवार के साथ बिताए गए अनमोल क्षण

फिल्म देखने के बाद का पल भी उतना ही महत्वपूर्ण था। कहानी, एक्शन सीन्स, डायलॉग्स पर चर्चा और अगली सुबह नाश्ते की टेबल से लेकर कार में सफर तक सब कुछ यादगार बन गया है। ये पल न केवल फिल्में देखने का आनंद देते थे बल्कि परिवार में आपसी जुड़ाव और प्रेम की भावना को भी मजबूत करते थे। अहान का मानना है कि ये अनुभव आज भी उनके जीवन का अहम हिस्सा हैं, जो उन्हें फिल्मों के प्रति उनकी दीवानगी और परिवार के साथ बिताए गए अनमोल क्षणों की याद दिलाते हैं।

जीवन का अनमोल खजाना

इस तरह, अहान पांडे का फिल्मी सफर केवल फिल्में देखने का नहीं, बल्कि परिवार के साथ बिताए गए खूबसूरत पल और परंपराओं का भी प्रतीक है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि फिल्मों के साथ-साथ परिवार के साथ बिताए गए समय भी जीवन का अनमोल खजाना हैं। अब जब उनका फिल्म सैयारा टीवी पर दिखेगा, तो यह यादें और भी जीवंत हो जाएंगी, और नई पीढ़ी भी इन अनुभवों से सीख सकेगी। यह कहानी फिल्में और परिवार के प्रेम का एक सुंदर और प्रेरणादायक उदाहरण है, जो दर्शकों को अपने परिवार के साथ बिताए गए समय का महत्व समझने के लिए प्रेरित करती है।


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