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अरमान मौत मामले में हुआ सनसनीखेज खुलासा

इंदिरापुरम के जीडी गोयनका स्कूल के छात्र अरमान की संदिग्ध हालात में मौत पर सवाल उठाते हुए परिजन पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं

अरमान मौत मामले में हुआ सनसनीखेज खुलासा
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गाजियाबाद। इंदिरापुरम के जीडी गोयनका स्कूल के छात्र अरमान की संदिग्ध हालात में मौत पर सवाल उठाते हुए परिजन पुलिस-प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन से जुड़े सभी आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं और पुलिस दबिश का गेम खेल रही है।

इसी बीच सनसनीखेज खुलासा हुआ कि पोस्टमार्टम के बाद हाईप्रोफाइल मामले में अरमान का विसरा सुरक्षित नहीं रखा गया। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अफसर कॉज ऑफ डेथ क्लीयर होने पर विसरा सुरक्षित नहीं रखने की दुहाई दे रहे हैं। उधर, अरमान के परिजन लगातार स्कूल प्रबंधन के ऊंचे रसूखों का हवाला देकर जांच प्रभावित करने और साक्ष्य मिटाने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

ऐसे में सवाल है कि यदि अरमान के परिजन पीएम रिपोर्ट पर सवाल उठाते हैं तो हुक्मरानों के पास कोई जवाब मिलना मुश्किल है। बता दें कि हाइप्रोफाइल मामलों में अक्सर विसरा सुरक्षित कर लिया जाता है। खासकर ऐसे मामलों में जहां आरोप-प्रत्यारोप का दौर दूर तक जाने की संभावना हो। ऐसे में पोस्टमार्टम के दौरान सुरक्षित रखा गया विसरा हाईअथॉरिटी लैब में जांच के लिए भेजकर मौत के कारणों की पुन: पुष्टि की जाती है। पुलिस-मोर्चरी सूत्रों की मानें तो अरमान के शव का पोस्टमार्टम दो चिकित्सकों की टीम ने किया था।

इस दौरान मामले की वीडियोग्राफी भी कराई गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे की मौत मिडफेस न्यूरोजेनिक डेथ यानी नाक के पीछे दिमाग की झिल्ली प्रिफॉर्म प्लॉट में चोट लगने के कारण हुई है। वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डा. बीपी त्यागी का कहना है कि जब कोई मुंह के बल पर गिरता है तो नाक की हड्डी टूटने से सर्वाइकल स्पाइन सी-2 पर चोट लगने से अचानक मौत हो जाती है। इसके अलावा कई बार चोट लगने से दिमाग के अंदर हीमोटोमा यानि क्लॉटिंग होने से भी मौत हो जाती है।

विसरा नहीं रखा गया

मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एनके गुप्ता का कहना है कि विसरा उस स्थिति में प्रिजर्व किया जाता है जब मौत का कारण स्पष्ट न हो रहा हो अथवा परिजन या पुलिस मौत के कारणों पर सवाल उठा रहे हों जैसे-प्वाइजनिंग का आरोप लगा रहे हों। ऐसे में हाइअथॉरिटी से जांच कराने के बाद मौत का कारण स्पष्ट हो जाता है। बच्चे की मौत का कारण पोस्टमार्टम में स्पष्ट हो गया था, इसलिए विसरा नहीं रखा गया।


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