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ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित, गैर जीवाश्म ईंधन और ग्रीन बिल्डिंग का बढ़ेगा दायरा

सोमवार को राज्यसभा में संशोधन के लिए आया 'ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022' पारित कर दिया गया

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित, गैर जीवाश्म ईंधन और ग्रीन बिल्डिंग का बढ़ेगा दायरा
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नई दिल्ली। सोमवार को राज्यसभा में संशोधन के लिए आया 'ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022' पारित कर दिया गया। लोकसभा पहले ही इस विधेयक को पास कर चुकी है। इस विधेयक के कानून बनने पर ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म ईधन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इसका उद्देश्य बड़े भवनों को ऊर्जा संरक्षण व्यवस्था के दायरे में लाना है। इससे ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ग्रीन बिल्डिंग) का दायरा भी विस्तृत होगा। ग्रीन बिल्डिंग ऐसे भवन है जो गैर परंपरागत संसाधनों का उपयोग करते हुए अपनी ऊर्जा जरूरत का कुछ हिस्सा हासिल करती हैं।

एथेनॉल, हरित हाइड्रोजन और बायोमास समेत गैर-जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वाला यह विधेयक बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया गया था।ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 का उद्देश्य देश को जलवायु परिवर्तन पर अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना भी है। यह ऑफिस और आवासीय भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण कोड भी लाएगा। 100 किलोवाट या उससे अधिक के कनेक्टेड लोड वाली इमारतें नए ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) कानून के तहत आएंगी।

राज्यसभा में चली चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने इस पर कहा कि देश व दुनिया का पर्यावरण अच्छा होना ही चाहिए लेकिन दिखाने के दांत और खाने के दांत कैसे हैं, यह इस पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता है यदि यह विधेयक स्टैंडिंग कमेटी के पास जाता और वह इसमें बेहतर रास्ते सुझाते। गोहिल ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में 40 फीसदी भारतीयों को एयरकंडीशन का इस्तेमाल करना पड़ेगा। उन्होंने नवीनीकरण ऊर्जा पर टैक्स को 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत किए जाने की निंदा की।

वहीं भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि भारत ने नवीनीकरण ऊर्जा के माध्यम से 500 जीगा वाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसमें से 250 जीगा वाट पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि जी-20 देशों के समक्ष भारत अपनी इन उपलब्धियों को रखते हुए दूसरे देशों को ऐसा करने के लिए कह सकेगा। उन्होंने कहा कि जी-20 समूह का कोई ऐसा देश फिलहाल नहीं है जो इस विषय पर भारत के समान हो।

यह विधेयक इसी साल अगस्त में लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है। राज्यसभा में इसे पेश करते हुए ऊर्जा मंत्री आर के सिंह का कहना था कि भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई ही है, देश उत्सर्जन में और कमी की दिशा में काम कर रहा है। भारत सरकार के मुताबिक वैश्विक पर्यावरण पर कुल कार्बन डाईऑक्साइड भार को देखें, तो हमारा योगदान सिर्फ 3.4 प्रतिशत है, जबकि हमारी आबादी विश्व आबादी का कुल 17.5 प्रतिशत है। इसका सीधा अर्थ यह है कि आबादी के अनुपात में भारत कार्बन उत्सर्जन सीमित है।

राज्यसभा द्वारा पास किया गया यह ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, औद्योगिक इकाइयों व वाहनों के ईंधन खपत मानदंडों का पालन करने में विफल रहने पर दंड का प्रावधान करता है। इसके लिए इन इकाइयों के निर्माताओं को इस दायरे में लाया जाएगा।

वहीं सोमवार को राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सांसदों को निराधार टिप्पणी न करने को कहा। उन्होंने कहा कि सांसदों को निराधार टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सभापति के मुताबिक यह सदन के विशेषाधिकार के उल्लंघन के समान है। दरअसल राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। संजय सिंह ने शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में कहा कि ने बीते आठ वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विपक्षी नेताओं पर 3,000 छापे मारे लेकिन केवल 23 लोगों को ही दोषी ठहराया जा सका है। संजय सिंह की इन टिप्पणियों के बाद इसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति की, इस पर सभापति को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने कहा कि सांसदों को राज्यसभा में निराधार टिप्पणियां करने से बचना चाहिए।


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