भविष्य की जरुरतों पर जोर दे इंजीनियर : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने भवन निर्माण की तकनीक को पर्यावरण के अनुकूल, स्थानीय सामग्री पर आधारित तथा प्राकृतिक आपदा रोधी बनाने पर बल देते हुए आज कहा कि इंजीनियरों को भविष्य की आवश्यकताओं पर जोर देन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने भवन निर्माण की तकनीक को पर्यावरण के अनुकूल, स्थानीय सामग्री पर आधारित तथा प्राकृतिक आपदा रोधी बनाने पर बल देते हुए आज कहा कि इंजीनियरों को भविष्य की आवश्यकताओं पर जोर देना चाहिए।
श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47 वें संस्करण में
कानपुर की इंजीनियरिंग छात्रा भावना त्रिपाठी का उल्लेख करते हुए कहा, “ अब जब हम 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाते हैं तो हमें भविष्य के लिए भी सोचना चाहिए। स्थान-स्थान पर कार्यशाला करनी चाहिए।’’
उन्होेंने कहा कि इन कार्यशालाओं में ‘बदले हुए युग में किन-किन नई चीज़ों को सीखना होगा? सिखाना होगा? जोड़ना होगा?’ - पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल आपदा प्रबंधन एक बहुत बड़ा काम हो गया है। प्राकृतिक आपदाओं से विश्व जूझ रहा है। ऐसे में बुनियादी इंजीनियरिंग के रुप, पाठ्यक्रम, भवन निर्माण तकनीक का पर्यावरण के अनुकूल होना, स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल करने तथा उसके मूल्यवर्धन करने पर जोर होना चाहिए।
श्री मोदी ने प्राचीन भारत की वास्तुकला का उल्लेख करते हुए कहा कि लगभग बारह-सौ साल पहले एक विशाल पहाड़ को एक उत्कृष्ट, विशाल और अद्भुत मंदिर का स्वरूप दे दिया गया। यह महाराष्ट्र के एलोरा स्थित कैलाशनाथ मंदिर है। प्रधानमंत्री इंजीनियरिंग के कौशल का उल्लेख करने के लिये तमिलनाडु के तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर और गुजरात के पाटण में 11वीं शताब्दी की रानी की वाव का उल्लेख किया।
भारत रत्न डॉ. एम. विश्वेश्वरय्या का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कावेरी नदी पर उनके बनाए कृष्णराज सागर बाँध से लाखों की संख्या में किसान और जन-सामान्य लाभान्वित होते हैं।


