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आरएसएस की शीर्ष बैठक में पर्यावरण संरक्षण पर जोर, पहले की तरह शाखाएं लगाने का निर्णय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, उत्तर क्षेत्र की यहां हुई दो दिवसीय बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए

आरएसएस की शीर्ष बैठक में पर्यावरण संरक्षण पर जोर, पहले की तरह शाखाएं लगाने का निर्णय
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गुरुग्राम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, उत्तर क्षेत्र की यहां हुई दो दिवसीय बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए। कोरोना के कारण लगने वाली ऑनलाइन और परिवार शाखाओं को अब अपने पूर्व स्वरूप में लाया जायेगा। शाखाओं को कोरोना संबंधी सावधानियों के साथ शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए खुले मैदानों में लगाने की बात की गई। गुरुग्राम के सेक्टर 9 ए स्थित सिद्धेश्वर स्कूल परिसर में हुई इस बैठक के जरिये पर्यावरण बचाओ का सन्देश भी दिया गया। प्लास्टिक मुक्त व्यवस्था रही। बैठक के दौरान चाय और दूध के लिए मिट्टी के कुल्हड़ों व कागज के गिलास प्रयोग किए गए। परिसर की सजावट सिंथेटिक रंगों की बजाय पारंपरिक तरीके से तैयार रंगों से की गई। दीपोत्सव में गाय के गोबर व मिट्टी से बने दीपकों का इस्तेमाल किया गया।

संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सर कार्यवाह भैयाजी जोशी की उपस्थिति में बुधवार और गुरुवार को हुई इस बड़ी बैठक में पर्यावरण संरक्षण और कोरोना के कारण बदलते परिवेश में स्वयंसेवक को और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की अपील की गई। सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए स्वरोजगार, आत्म निर्भरता और स्वावलम्बन को कार्य का आधार बनाने का सुझाव दिया गया।

बैठक में स्वदेशी निर्मित समान के उपयोग से देश को आर्थिक रूप से सशक्त करने पर जोर दिया गया। इसलिए छोटे उद्योग, ग्रमीण कुटीर उद्योग का सहयोग करने की बात कही गई।

संघ के शीर्ष पदाधिकारियों ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। कहा गया कि पानी को पैदा नहीं कर सकते लेकिन बचा सकते हैं। पेड़-पौधों को लगाया जा सकता है, इसलिए अधिकाधिक पौधरोपण करने और प्लास्टिक के उपयोग से बचने पर जोर दिया गया।

बैठक में संघकार्य की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के साथ आगामी कार्यक्रमों पर विचार किया गया। स्वदेशी, कुटुंब प्रबोधन जैसे सामाजिक सरोकार के विषयों पर चिंतन किया गया। इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी के अतिरिक्त पांच सहसरकार्यवाहक सुरेश सोनी, दत्तात्रेय होसबले, डॉ. कृष्ण गोपाल , डॉ. मनमोहन वैद्य, मुकुंददा, चार अखिल भारतीय अधिकारी इंद्रेश, अशोक बेरी, रामलाल, जे नंदकुमार सहित हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर प्रान्तों के 43 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।


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