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कोरोनाकाल में गांवों के विकास पर जोर, उद्योग को भी ग्रामीण मांग का सहारा

कोरोनाकाल में पूर्णबंदी के दौरान जब देश की औद्योगिक गतिविधियां चरमरा गईं, तब भी भारत के गांवों की अर्थव्यवस्था की गाड़ी अपनी रफ्तार के साथ चलती रही है

कोरोनाकाल में गांवों के विकास पर जोर, उद्योग को भी ग्रामीण मांग का सहारा
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नई दिल्ली। कोरोनाकाल में पूर्णबंदी के दौरान जब देश की औद्योगिक गतिविधियां चरमरा गईं, तब भी भारत के गांवों की अर्थव्यवस्था की गाड़ी अपनी रफ्तार के साथ चलती रही है। केंद्र सरकार ने फसलों की कटाई, बुवाई, परिवहन, विपणन समेत तमाम कार्यो को लॉकडाउन के दौरान भी छूट दे रखी थी। अब शहरों से घर लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के मेगा कार्यक्रम के जरिए गांवों में 50,000 करोड़ रुपये पहुंचने को हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 50,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' का शुभारंभ किया। प्रवासी मजदूरों को ध्यान में रखकर शुरू किए गए 125 दिनों के रोजगार के इस कार्यक्रम में देश के छह राज्यों के 116 जिलों के करीब 67 लाख प्रवासी मजदूरों समेत वहां पहले निवास करने वाले श्रमिकों व कारीगरों को भी काम मिलेगा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि बाजार के जानकार बीकानेर के पुखराज चोपड़ा कहते हैं कि सरकारी योजनाओं के पैसों से लोगों को आय का जरिया मिलेगा, उनकी क्रय-शक्ति बढ़ेगी और क्रय-शक्ति बढ़ने से नई मांग पैदा होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

चोपड़ा ने कहा कि इस साल मानसून बेहतर रहने के पूवार्नुमान से पहले ही किसानों के चेहरे खिले हैं और कोरोना काल में सरकारी योजनाओं के जो पैसे गांवों में आ रहे हैं, उससे ग्रामीण आबादी की आय बढ़ेगी।

ग्रामीण क्षेत्र की मांग बढ़ने से उद्योग को भी फायदा मिलने की उम्मीद जगी है। उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रेसीडेंट डॉ. डी.के. अग्रवाल ने बताया कि ग्रामीण आबादी की आय बढ़ने से कपड़े व दैनिक जरूरियात की वस्तुओं की मांग बढ़ेगी, जिससे उद्योग की सेहत सुधरेगी। उन्होंने कहा कि खासतौर से एफएमसीजी की मांग में तेजी आएगी।

जानकार बताते हैं कि गांवों में महानगरों की तरह कोरोना को लेकर भय का माहौल भी नहीं है, जिससे शादी समारोह से लेकर सारे तीज-त्योहार व कार्यक्रम हो रहे हैं, जिनसे ग्रामीण मांग लगातार बनी हुई है।

अग्रवाल ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के घर लौटने से गांवों में जो बेकारी की समस्या पैदा होने की आशंका बनी हुई थी, वह अब इन योजनाओं के शुरू होने से दूर होगी। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि ग्रामीण मजदूरों को उनके घर के पास ही काम मिले, इसलिए कृषि आधारित उद्योग लगाने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

देश के प्रमुख औद्योगिक नगरों व महानगरों में कोरोनावायरस संक्रमण के गहराते प्रकोप के चलते शहरों से ज्यादातर मजदूर पलायन कर चुके हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की स्कीमों, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना समेत ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि एवं सबद्ध विभागों की योजनाओं के तहत कार्यो की पहले ही गति तेज कर दी थी, अब 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' शुरू किया गया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' लांच होने के अवसर पर बताया कि इस कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं को शामिल किया गया है।


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